Saturday 13 January 2018

मड़ई(दोहा गीत)

मड़ई मेला(दोहा गीत)

मोर  गाँव  दैहान   मा,मड़ई  गजब भराय।
दुरिहा दुरिहा के घलो,मनखे मन जुरियाय।

कोनो सँइकिल मा चढ़े,कोनो खाँसर फाँद।
कोनो  रेंगत  आत   हे,झोला   झूले  खाँद।
मड़ई मा मन हा मिले,बढ़े मया अउ मीत।
जतके हल्ला होय जी,लगे  ओतके  गीत।
सब्बो रद्दा बाट मा,लाली कुधरिल छाय।
मोर गाँव दैहान  मा,मड़ई  गजब भराय।

किलबिल किलबिल हे करत,गली खोर घर बाट।
मड़ई   मनखे    बर    बने,दया   मया   के   घाट।
संगी  साथी  किंजरे,धरके देखव हाथ।
पाछू  मा  लइका चले,दाई  बाबू साथ।
मामी मामा मौसिया,पहिली ले हे आय।
मोर गाँव  दैहान मा,मड़ई गजब भराय।

ओरी   ओरी   बैठ  के,पसरा  सबो   लगाय।
सस्ता मा झट लेव जी,कहिके बड़ चिल्लाय।
नान  नान  रस्ता  हवे,सइमो  सइमो होय।
नान्हे लइका जिद करे,चपकाये बड़ रोय।
खई खजानी खाय बर,लइका रेंध लगाय।
मोर  गाँव  दैहान  मा,मड़ई  गजब भराय।

चना चाँट गरमे गरम,गरम जलेबी लेव।
बड़ा  समोसा  चाय हे,खोवा पेड़ा सेव।
भजिया बड़ ममहात हे,बेंचावय कुसियार।
घूमय तीज तिहार कस,होके सबो तियार।
फुग्गा मोटर कार हा,लइका ला रोवाय।
मोर गाँव दैहान  मा,मड़ई गजब भराय।

बहिनी मन सकलाय हे,टिकली फुँदरी तीर।
सोना  चाँदी  देख  के, धरे  जिया  ना  धीर।
जघा जघा बेंचात हे, ताजा ताजा साग।
बेंचइया चिल्लात हे,मन भावत हे  राग।
खेल मदारी ढेलुवा,सबके मन ला भाय।
मोर गाँव दैहान  मा,मड़ई गजब भराय।

चँउकी  बेलन बाहरी,कुकरी मछरी गार।
साज सजावट फूल हे,बइला के बाजार।
लगा  हाथ  मा   मेंहदी,दबा  बंगला   पान।
ठंडा सरबत अउ बरफ,कपड़ा लगे दुकान।
कई किसम के फोटु हे, देखत बेर पहाय।
मोर  गाँव दैहान  मा,मड़ई  गजब भराय।

जिया भरे झोला भरे,मड़ई मनभर घूम।
संगी साथी सब मिले,मचे रथे बड़ धूम।
दिखे कभू दू चार ठन,दुरगुन एको छोर।
मउहा पी कोनो लड़े,कतरे पाकिट चोर।
मजा उही हा मारही,मड़ई जेहर आय।
मोर गाँव दैहान मा,मड़ई गजब भराय।

जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)