नवा जुग (गीत)
मोर गाँव के धुर्रा मा राखड़ मिलगे,कइसे तिलक लगावौं।
बंजर होगे खेती खार सब,का चीज मैं उपजावौं।
सड़क सुते हे लात तान के,महल अटारी ठाढ़े हे।
मोर आँखी मा निंदिया नइहे,संसो अड़बड़ बाढ़े हे।
नाँव बुझागे रूख राई के,बंगबंग जिवरा बरत हे।
मन भीतरी मोर मातम हावै,बाहिर हाँका परत हे।
सिसक घलो नइ सकत हँव दुख मा,कइसे सुर लमावौं।
लोहा सोन चाँदी उपजत हे,बनत हवै मोटर अउ कार।
सब जीतत हे जिनगी के जंग,मोरे होवत हावय हार।
तरिया परिया हरिया नइहे,नइ हे मया के घर अउ गाँव।
हाँव हाँव अउ खाँव खाँव मा,चिरई करे न चाँव चाँव।
नवा जुग के अँधियारी कूप मा,भेड़ी कस झपावौं।
हवा पानी मा जहर घुरत हे,चुरत हे धरती दाई।
स्वारथ के घोड़ा भागत हे,लड़त हे भाई भाई।
हाय विधाता भूख मार दे,तन ला कर दे कठवा।
नवा जुग ला माथ नवाहूँ,जिनगी भर बन बठवा।
दुख पीरा म जिवरा डोले,माटी पूत मैं
आवौं।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
मोर गाँव के धुर्रा मा राखड़ मिलगे,कइसे तिलक लगावौं।
बंजर होगे खेती खार सब,का चीज मैं उपजावौं।
सड़क सुते हे लात तान के,महल अटारी ठाढ़े हे।
मोर आँखी मा निंदिया नइहे,संसो अड़बड़ बाढ़े हे।
नाँव बुझागे रूख राई के,बंगबंग जिवरा बरत हे।
मन भीतरी मोर मातम हावै,बाहिर हाँका परत हे।
सिसक घलो नइ सकत हँव दुख मा,कइसे सुर लमावौं।
लोहा सोन चाँदी उपजत हे,बनत हवै मोटर अउ कार।
सब जीतत हे जिनगी के जंग,मोरे होवत हावय हार।
तरिया परिया हरिया नइहे,नइ हे मया के घर अउ गाँव।
हाँव हाँव अउ खाँव खाँव मा,चिरई करे न चाँव चाँव।
नवा जुग के अँधियारी कूप मा,भेड़ी कस झपावौं।
हवा पानी मा जहर घुरत हे,चुरत हे धरती दाई।
स्वारथ के घोड़ा भागत हे,लड़त हे भाई भाई।
हाय विधाता भूख मार दे,तन ला कर दे कठवा।
नवा जुग ला माथ नवाहूँ,जिनगी भर बन बठवा।
दुख पीरा म जिवरा डोले,माटी पूत मैं
आवौं।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)