तीजा
सार छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
लइका लोग ल धरके गेहे,मइके मोर सुवारी।
खुदे बनाये अउ खाये के,अब आगे हे पारी।
कभू भात चिबरी हो जावै,कभू होय बड़ गिल्ला।
बर्तन भँवड़ा झाड़ू पोछा,हालत होगे ढिल्ला।
एक बेर के भात साग हा,चलथे बिहना संझा।
मिरी मसाला नमक मिले नइ,मति हा जाथे कंझा।
दिखै खोर घर अँगना रदखद,रदखद हाँड़ी बारी।
खुदे बनाये अउ खाये के,अब आगे हे पारी।1।
सुते उठे के समय बिगड़गे,घर बड़ लागै सुन्ना।
नवा पेंट कुर्था मइलागे,पहिरँव ओन्हा जुन्ना।
कतको कन कुरथा कुढ़वागे,मूड़ी देख पिरावै।
ताजा पानी ताजा खाना,नोहर होगे हावै।
कान सुने बर तरसत हावै,लइकन के किलकारी।
खुदे बनाये अउ खाये के,अब आगे हे पारी।2।
खाये बर कहिही कहिके,ताकँव मुँह साथी के।
चना चबेना मा अब कइसे,पेट भरे हाथी के।
मोर उमर बढ़ावत हावै,मइके मा वो जाके।
राखे तीजा के उपास हे,करू करेला खाके।
चारे दिन मा चितियागे हँव,चले जिया मा आरी।
खुदे बनाये अउ खाये के,अब आगे हे पारी।3।
छंदकार-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
पता-बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)