Saturday 26 October 2019

देवारी तिहार म पानी

देवारी मा पानी(तातंक छंद)

रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा।
कतको के सपना पउलागे,अइसन आफत आरी मा।

हाट बजार मा पानी फिरगे,दीया बाती बाँचे हे।
छोट बड़े बैपारी सबके,भाग म बादर नाँचे हे।
खुशी झोपड़ी मा नइ हावै,नइहे महल अटारी मा।
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा।

काम करइया मनके जाँगर,बिरथा आँसों होगे हे।
बिना लिपाये घर दुवार के,चमक धमक सब खोगे हे।
फुटे फटाका धमधम कइसे,चिखला पानी धारी मा।
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा----।

चौंक पुराये का अँगना मा,काय नवा कपड़ा लत्ता।
काय सुवा का गौरा गौरी,तने हवे खुमरी छत्ता।
काय बरे रिगबिग दियना हा,कातिक केअँधियारी मा
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा-----।

पाके धान के कनिहा टुटगे,कल्हरत हे दुख मा भारी।
खेत खार अउ रद्दा कच्चा,कच्चा हे बखरी बारी।
मुँह किसान के सिलदिस बादर,भात ल देके थारी मा
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा-----।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)