छत्तीसगढ़ी भाषा ला पोठ करे के आंदोलन - "छंद के छ"
बिना कोनो प्रचार-प्रसार के पाँच बछर ले छत्तीसगढ़ के साहित्य जगत मा एक नाम गूँजत हे - "छन्द के छ"। सुने मा विचित्र लागथे कि ये कइसन नाम आय ? फेर गुने अउ जाने मा समझ मा आ जाथे कि जइसे हिन्दी भाषा सीखे बर "अनार के अ" होथे वइसने छन्द सीखे बर "छन्द के छ" आय।
"छन्द के छ" के जनम - छत्तीसगढ़ के गिरिधर कविराय के रूप मा प्रसिद्ध जनकवि कोदूराम "दलित" जी सन् 1967 मा कुण्डलिया छन्द ल पुनर्जीवित करत सियानी गोठ नाम के कुण्डलिया संग्रह प्रकाशित करे रहिन जेमा लिखे रहिन कि छत्तीसगढ़ी बोली मा छन्दबद्ध कविता के अभाव असन हे। इहाँ के कवि मन ल चाही कि उन ये अभाव के पूर्ति करंय, स्थायी छन्द लिखे डहर जास्ती ध्यान देवैं। इही वाक्य ले प्रेरित होके उनकर बेटा अरुण निगम ह सन् 2015 मा "छन्द के छ" नाम के एक छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह प्रकाशित करवाइन जेकर माध्यम छत्तीसगढ़ी रहिस अउ ओमा पचास किसम के छन्द के विधान अउ उदाहरण रहिस। इही किताब ल आधार बनाके उनमन 09 मई 2016, अक्ती (अक्षय तृतीया) के वाट्सएप समूह मा छन्द सिखाये के शुरुआत करिन अउ "छन्द के छ" ऑनलाइन गुरुकुल के जनम होइस।
"छंद के छ" के उद्देश्य - छत्तीसगढ़ी भाषा ला समृद्ध करना। नवा लिखइया मन ला छन्द विधा सिखाना।
"छंद के छ" के सत्र - "छंद के छ" के ऑनलाइन कक्षा ल "सत्र" कहे जाथे। हर बछर के पहला सत्र नवा साल (जनवरी) मा, दूसर सत्र अक्ती (मई) मा अउ तीसर सत्र दलित जी के पुण्यतिथि (28 सितम्बर) मा चालू होथे। मई 2016 ले लेके सन् 2021 तक सरलग 17 सत्र खुल चुके हे। जनवरी 2022 मा अठारहवाँ सत्र चालू हो जाही।
"छंद के छ" के साधक के चयन - छन्द सीखने वाला मन ल "साधक" कहे जाथे। हर सत्र बर 10 ले 12 नवा अनगढ़ रचनाकार के चयन करे जाथे फेर ओमन ल ऑनलाइन गुरुकुल के नियम अउ शर्त भेजे जाथे। स्वीकृति आये के बाद उनमन ल नवा सत्र के समूह मा जोड़े जाथे। 10 - 12 साधक संख्या सीमित रखे के पाछू ये कारण हे कि हर साधक ऊपर बराबर ध्यान दे जा सके। ज्यादा संख्या रहे मा हर साधक ऊपर ध्यान देना बहुत कठिन हो जाथे। आज के स्थिति मा छन्द के छ मा साधक के संख्या 200 ले आगर हो चुके हे।
"छंद के छ" के गुरुदेव - जउन साधक मन बने ढंग ले छ्न्द लिखे बर सीख जाथें उही मन नवा सत्र के साधक मन ला छन्द लिखे बर सिखाथें अउ साधक मन के गुरुदेव कहे जाथें। आज "छंद के छ" मा छन्द सिखइया गुरुदेव मन के संख्या 50 ले आगर हो चुके हे।
गुरु-शिष्य परम्परा के पुनर्स्थापना -
छंद के छ परिवार के मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ी साहित्य के बढ़वार हे अउ ये तभे सम्भव हे जब लिखइया अउ सिखइया रहँय, तेखर सेती छंद परिवार "सीखो अउ सिखावव" के नारा लेके आघू बढ़त हे, अउ एखरे प्रमाण ए कि, आज छंद परिवार ले 200 ले आगर साधक मन सीखत अउ सिखावत हें। जउन मन छन्द सीखत गिन वोमन कक्षा म गुरु के दायित्व सम्हालत गिन अउ सत्र बढ़त गिस। गुरु शिष्य परम्परा के साक्षात दर्शन छंद परिवार म सहज होथे।
"छंद के छ" के सत्र मा पाठ्यक्रम अउ अभ्यास - छन्द के छ के पाठ्यक्रम शून्य ले शुरू होथे माने स्वर व्यंजन, लघु-गुरु मात्रा, मात्रा-गणना के नियम, अपवाद के नियम, तुकान्त शब्द, तुकांतता के प्रकार, शुद्ध लय बर कल-संयोजन, यति, गति आदि के ज्ञान के बाद छन्द लिखे के अभ्यास चालू होथे जेला गुरुदेव मन जाँचथें। अगर साधक के अभ्यास मा कहूँ गलती दिखथे तब वोला सुधारे के रद्दा बताए जाथे। अइसने अभ्यास करत-करत साधक मन अनेक किसम के छन्द लिखे बर सीख जाथें।
"छन्द के छ :आनलाइन कविगोष्ठी" -
छंद एक शास्त्रीय विधा आय, जे विशेष मात्रा अउ अपन विशेष लय के कारण विविध नाम ले जाने जाथे। जइसे दोहा छंद, सोरठा छंद, रोला छंद, कुंडलियाँ छंद, अमृतध्वनि छंद, आल्हा छंद, बरवै छंद -------आदि आदि। सबे छंद के मात्रा विधान के संगे संग लय ताल घलो अलग अलग होथे। छंद के छ के मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ करना हे, एखर संगे संग छंदकार ल लिखे के साथ पढ़े बर घलो सिखाना हे, तभे तो मार्च 2017 ले सरलग हर शनिवार अउ रविवार के आनलाइन गोष्ठी के आयोजन होथे। जेमा सबे साधक मन बढ़ चढ़के भाग लेथें। साधक मन ल कोन छंद ल कइसे लिखना हे, वोला उँखर कक्षा म सिखाये जाथे, अउ कोन छंद ल कइसे पढ़ना या गाना हे, तेला गोष्ठी म। गोष्ठी म परिपक्व होके, छंद परिवार के साधक मन कवि सम्मेलन के मंच मन म घलो छंदबद्ध गीत कविता के प्रस्तुति देवत हें अउ ताली बटोरत हें। छंद के छ के ही प्रभाव ए, जे आजकल कवि सम्मेलन के मंच मन म घलो छंदबद्ध विविध गीत, कविता पढ़े सुने जावत हे। गोष्ठी के एक अउ खास बात हे- हर सप्ताह अलग अलग साधक मन ल गोष्ठी के संचालन करे के दायित्व देय जाथे, जेखर ले हर साधक संचालन करे बर सीखत हें। गोष्ठी के दिन कोनो परब सपड़ जथे त वो दिन वो परब या फेर दिवस आधारित गोष्ठी होथे, जेमा सबो साधक मन एके प्रकार के विषय म गीत कविता प्रस्तुत करथें। जइसे होली हे, त सब साधक होली आधारित काव्य पाठ करथें। ऑनलाइन कविगोष्ठी मा प्रस्तुति के सुग्घर अभ्यास करके छन्दकार मन अब आकाशवाणी अउ दूरदर्शन मा तको आमंत्रित करे जात हें।
"कवि गोष्ठी मा पहुना" -
वलीनर कविगोष्ठी म बीच बीच म छत्तीसगढ़ के विज्ञ साहित्यकार, गीतकार, कलाकार मन पहुना बनके घलो आथें, अउ मन लगाके छंदबद्ध गीत कविता सुनके आशीष देथें, एखर से वो पहुना मन छंद परिवार के नवा जुन्ना साधक मन ला जानथें अउ आपसी मया मेल बढ़थे। छत्तीसगढ़ के कतको नामी विभूति मन छ्न्द के छ परिवार के गोष्ठी म पहुना बनके आयें हें, जेमा लोक गायिका स्वर कोकिल श्रीमती कविता वासनिक जी, कवियित्री अउ अभिनेत्री श्रीमती संतोष झाँझी जी, वरिष्ठ साहित्यकार सरला शर्मा जी, गजलकार श्री दिनेश गौतम जी, अभिनेत्री अउ लोक नृत्य के निर्देशिका श्रीमती शैलजा ठाकुर जी, लोकगायक श्री महादेव हिरवानी जी, साहित्यकार बलदाऊ राम साहू जी, गजलकार जनाब लतीफ खान जी, साहित्यकार, प्रकाशक अउ शिक्षाविद श्री सुधीर शर्मा जी, लोकगायिका श्रीमती अनुराग ठाकुर जी आदि के अलावा कई बड़े साहित्यकार अउ कलाकार मन अतिथि के रूप म शामिल हो चुके हें। उहू मन छंद परिवार के अइसन उदिम ले भारी खुश होइन अउ रंग रंग के छंद के संगे संग सुमधुर राग रंग ल सुनके खूब प्रशंसा करिन। मार्च 2017 ले अनवरत चलत छंदबद्ध काव्य गोष्ठी आजो राग रंग के आकर्षण के केंद्र होथे।
"सोशल मीडिया के सदुपयोग" -
सोशल मीडिया के ही प्रताप आय जे छत्तीसगढ़ के चारों कोती के कवि मन वाट्सअप के माध्यम ले छंद के छ के आनलाइन कक्षा म, छंद सीखत अउ सिखावत हे, कोनो एक जघा क्लास लगाके अइसन कर पाना सम्भव नइ रिहिस। एमा किसान, मजदूर, गृहिणी, नौकरी पेशा, व्यवसायी से लेके कालेज के प्राध्यापक मन तक एक संग बिना कोनो भेदभाव के छन्द सीखत हें। जब 2019-20 म पूरा विश्व कोविड के महामारी ले त्रस्त अउ भयभीत रिहिस, चारो मुड़ा अशुभ समाचार मिलत रिहिस, वो समय छंद परिवार के साधक मन अपन अधिकतर समय छंद सीखे म अउ ऑनलाइन गोष्ठी म सीखे छंद ल पढ़े म लगाइन। कतको साधक मन पुस्तक छपाये के तैयारी करिन। इही आनलाइन गोष्ठी ल अइसन आफत के बेरा म पूरा छत्तीसगढ़ काव्य पाठ बर बउरिन, जेला छंद के छ परिवार 2017 ले उपयोग म लावत हें। ये प्रकार ले कोविड काल म छंदपरिवार सोसल मीडिया के जरिये एक होके डर भय दुख सुख बाँटिन अउ विजय हासिल करिन।
"छंद के छ" : छन्द आधारित उत्कृष्ट किताब के प्रकाशन
"छंद के छ" म जुड़े जम्मो साहित्यकार मनके जवाब नइहे, इँखर कलम म गजब धार हे, छंद के छ म जुड़े के पहली, मुक्त छंद म कई पुस्तक ये मन लिख चुके हें, फेर छंद के छ ले जुड़े के बाद छंदमय पुस्तक के घलो बरसात करत हें, महज चार-पाँच बछर म छंद साधक मनके कतको छंदमय पुस्तक सामने आ चुके हे। कुछ पुस्तक के नाम -
छन्द के छ (छन्द संग्रह) - अरुणकुमार निगम
छंद बिरवा (छन्द संग्रह) -चोवाराम "बादल"
हीरा सोनाखान के (प्रबन्ध काव्य) - मनीराम साहू "मितान"
महापरसाद (प्रबन्ध काव्य) - मनीराम साहू "मितान"
आँखी रहिके अंधरा (कुंडलियाँ संग्रह) - रमेशकुमार चौहान
दोहा के रंग (दोहा संग्रह) - रमेशकुमार चौहान
छंद चालीसा (छन्द संग्रह) - रमेशकुमार चौहान
छंद के रंग (छन्द संग्रह) - रमेशकुमार चौहान
छंद के छटा (छन्द संग्रह) - शकुंतला शर्मा
छंद झरोखा (छन्द संग्रह) - रामकुमार चन्द्रवंशी
छंद बगइचा (छन्द संग्रह) - रामकुमार चन्द्रवंशी
सम्पूर्ण रामायण (सार छंद) - जगदीश हीरा साहू
छंद संदेश (छन्द संग्रह) - जगदीश हीरा साहू
अमृतध्वनि छंद संग्रह - बोधनराम निषादराज
छंद कटोरा (छन्द संग्रह) - बोधनराम निषादराज
छत्तीसगढ़ी सवैया (सवैया संग्रह) - धनेश्वरी सोनी "गुल"
एकर अलावा कुछ किताब के पाण्डुलिपि प्रकाशन बर तैयार हो चुके हें -
छन्द चंदैनी (छन्द संग्रह) - आशा देशमुख
छन्द अँजोर ( छन्द संग्रह) - सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
छन्द सरगम (छन्द संग्रह) - जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
छन्द गीत (छन्द संग्रह) - द्वारिकाप्रसाद लहरे
गीता के छत्तीसगढ़ी भावानुवाद - पुरुषोत्तम ठेठवार
छत्तीसगढ़ी रामायण - चोवाराम "बादल"
छत्तीसगढ़ी हरिगीतिका संग्रह - बोधनराम निषादराज
छत्तीसगढ़ी त्रिभंगी संग्रह - बोधनराम निषादराज
छत्तीसगढ़ी के अलावा कुछ छन्दकार मन हिन्दी मा तको किताब प्रकाशित करवावत हें जइसे -
शब्द गठरिया बाँध (छन्द संग्रह) - अरुणकुमार निगम
कविताई कैसे करूँ (छन्द संग्रह) - कन्हैया साहू "अमित"
कुण्डलिया किल्लोल (कुण्डलिया संग्रह) - चोवाराम "बादल"
साँची साधना (छन्द संग्रह) - इंद्राणी साहू "साँची"
इन्टरनेट मा छत्तीसगढ़ी छन्द खजाना -
15 अगस्त 2017 के छंद परिवार छंद खजाना नामक एक ब्लॉग बनाए गिस, जेमा साधक मन के छंद संग्रहित होवत हें। तीज, तिहार-बार, तिथि विशेषांक छंदबद्ध कविता के विशेष संग्रह घलो इही ब्लाग म हे। कुल मिलाके यदि गिनती किया जाय त, लगभग 90, 100 प्रकार के 10,000 ले जादा छंदबद्ध कविता संग्रहित होचुके हे, जेला न सिर्फ भारत के बल्कि दुनिया के 20 ले ज्यादा देश के पाठक मन तको बरोबर पढ़त हें।
गूगल सर्च म छन्द खजाना या http://chhandkhajana.blogspot.com टाइप करके विविध प्रकार के छंद एक संघरा पढ़े जा सकत हे। एखर आलावा फेसबुक म घलो छंद के छ नाम से एक समूह हे, जेमा छंद परिवार के इतर आन लेखक कवि मन घलो जुड़े हे, जिंहा छंदबद्ध रचना साधक अउ कवि मन पोस्ट करते रहिथे।
स्थापना दिवस समारोह -
आनलाइन कक्षा म जुड़े साधक मन जब आपस म आमने सामने मिलथें तब उँखर खुशी के ठिकाना नइ रहय, इही मया मेल, भेंट भलाई खातिर छंद परिवार स्थापना दिवस समारोह के आयोजन करथे। ये समारोह मा छत्तीसगढ़ के विज्ञ साहित्यकार या कलाकार मनके उपस्थिति म आपसी भेंट अउ कविसम्मेलन के आयोजन होथे। जउन साधक मन छंदबद्ध पुस्तक छपवाये रहिथें ओखर विमोचन घलो होथे। हर साल अक्ती तिहार के आसपास में इतवार के दिन स्थापना दिवस समारोह मनाये जाथे। पहली स्थापना दिवस समारोह 2017 म, वरिष्ठ छंद साधिका श्रीमती शकुंतला शर्मा जी के संयोजन म हुडको, भिलाई म सम्पन्न होइस। दूसर स्थापना दिवस समारोह 2018 म छंदकार मनीराम साहू मितान जी के संयोजन म सिमगा म सम्पन्न होइस। तीसर स्थापना दिवस समारोह 2019 म कबीरधाम के साधक ज्ञानुदास मानिकपुरी अउ सुखदेव सिंह अहिलेश्वर के संयोजन म कवर्धा म सम्पन्न होइस। कोविड-19 के कारण सन् 2020 अउ 2021 म स्थापना दिवस समारोह आयोजित नइ हो पाइस।
दीवाली मिलन समारोह -
दीवाली मिलन समारोह के मुख्य उद्देश्य घलो आपसी मेल, मिलाप हे। ये समारोह देवारी के बाद कोनो छुट्टी के दिन देखके आयोजित कर जाथे। पहली दिवाली मिलन समारोह 2017 म श्री चोवाराम वर्मा बादल जी के संयोजन म ग्राम हथबन्द जिला बलौदाबाजार म सम्पन्न होइस। दूसर दीवाली मिलन समारोह 25 नवम्बर 2018 के सुरेश पैगवार जी के संयोजन म जांजगीर नैला म आयोजित रिहिस, फेर जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया जी उही समय हम सब ला छोड़ के परलोक सिधार गिन, ते पाय के 2018 के दीवाली मिलन समारोह, सुरता लक्ष्मण मस्तुरिया नाम मा उन ला समर्पित रिहिस। 2019 म श्री बलराम चंद्राकर अउ श्री सूर्यकान्त गुप्ता जी के संयोजन म रायपुर म सम्पन्न होइस। 2020 के दीवाली मिलन समारोह कोरोना महामारी के कारण नइ हो पाइस। 2021 म चतुर्थ दिवाली मिलन समारोह विजेंद्र वर्मा अउ बलराम चंद्राकर जी के संयोजन म कूर्मि भवन, भिलाई म सम्पन्न होइस।
उपसंहार -
एक विचार, एक आन्दोलन कइसे बन जाथे, एखर साक्षात प्रमाण आय "छंद के छ"। छंद के छ के प्रभाव ले छत्तीसगढ़ी शब्द मन म एकरूपता सहज देखे बर मिलत हे, संगे संग हिंदी वर्णमाला के 52 आखर सब झन बउरत हें। भाव पक्ष के संग कविता के कलापक्ष मजबूत होवत हे। विषय म विविधता घलो सहज दिखत हे, घर बन खेत-खार के अलावा विधि, विज्ञान, शिक्षा, संस्कार, जन जागृति अउ नवा नवा चीज ऊपर साहित्य सृजन होवत हे। छंद के छ के एक उद्देश्य सीखे के संगे संग सिखाना घलो हे, तभे तो आज अतेक अकन सत्र सुचारू रूप ले संचालित होवत हे। नँदावत गुरु शिष्य परंपरा के झलक छंद के छ परिवार म देखे ल मिलथे। सीखे सिखाये के हमर इही उद्देश्य ल देखत छत्तीसगढ़ के आन सुजान साहित्यकार मन घलो अपन ज्ञान ल सोसल मीडिया के जरिये बगरावत दिखिस। छंद के छ संयम अउ समर्पण के माला म गुथाय एक परिवार आय, जे सीखे पढ़े के साथ साथ एक विशेष समूह खुला मंच द्वारा अपन सुख दुख ल घलो बाँटथे। छंद के छ छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के सेवा म सतत लगे हे अउ खरा उतरत घलो हे। चारो कोती छंद के छ के शोर हे। परिवार के साधक मनके आलावा आन कवि मन घलो छंदमय सृजन करत हे, अउ कतको मन हिंदी, छत्तीसगढ़ी म छंद सीखत अउ सिखावत हें। कवि सम्मेलन, पत्र पत्रिका, सोसल मीडिया अउ इती उती चारो कोती गूँजत छंद के शोर, छंद के छ के उपलब्धि आय।
आलेख - जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा (छत्तीसगढ़)