1,देवारी तिहार-घनाक्षरी
कातिक हे अँधियारी,आये परब देवारी।
सजे घर खोर बारी,बगरे अँजोर हे।
रिगबिग दीया बरे,अमावस देख डरे।
इरसा दुवेस जरे,कहाँ तोर मोर हे।
अँजोरी के होये जीत,बाढ़े मया मीत प्रीत।
सुनाये देवारी गीत,खुशी सबे छोर हे।।
लड़ी फुलझड़ी उड़े,बरा भजिया हे चुरे।
कोमढ़ा कोचई बुड़े,कड़ही के झोर हे।।
बैंकुंठ निवास होही, पाप जम्मों नास होही।
दीया बार चौदस के, चमकाले भाग ला।
नहा बड़े बिहना ले, यमराजा ला मनाले।
व्रत दान अपनाले, धोले जम्मों दाग ला।
ये दिन हे बड़ न्यारी, कथा कहानी हे भारी।
जीत जिनगी के पारी, जला द्वेष राग ला।
देव धामी ला सुमर, बाढ़ही तोरे उमर।
पा ले जी भजन कर, सुख शांति पाग ला।
आमा पान के तोरन, रंग रंग के जोरन।
रमे हें सबे के मन, देवारी तिहार मा।
लिपाये पोताये हवे, चँउक पुराये हवे।
दाई लक्ष्मी आये हवे, सबके दुवार मा।
अन्न धन देवत हे, दुख हर लेवत हे।
आज जम्मों सेवक हे, बहे भक्ति धार मा।
हाथ मा मिठाई हवे, जुरे भाई भाई हवै।
देवत बधाई हवै,गूँथ मया प्यार मा।
गौरा गौरी जागत हे,दुख पीरा भागत हे।
बड़ निक लागत हे,रिगबिग रात हा।।
थपड़ी बजा के सुवा,नाचत हे भौजी बुआ।
सियान देवव दुवा,निक लागे बात हा।।
दफड़ा दमऊ बजे,चारों खूँट हवे सजे।
धरती सरग लगे,नाँचे पेड़ पात हा।।
घुरे दया मया रंग,सबो तीर हे उमंग।
संगी साथी सबो संग,भाये मुलाकात हा।।
गौरा गौरी सुवा गीत,लेवै जिवरा ल जीत।
बैगा निभावय रीत,जादू मंतर मार के।।
गौरा गौरी कृपा करे,दुख डर पीरा हरे।
सुवा नाचे नोनी मन,मिट्ठू ल बइठार के।।
रात बरे जगमग,परे लछमी के पग।
दुरिहाये ठग जग,देवारी ले हार के।।
देवारी के देख दीया,पबरित होवै जिया।
सोभा बड़ बढ़े हवै,घर अउ दुवार के।
मया भाई बहिनी के, जियत मरत टिके।
भाई दूज पावन हे, राखी के तिहार कस।
उछाह उमंग धर, खुशी के तरंग धर।
आये अँगना मा भाई, बन गंगा धार कस।
इही दिन यमराजा, यमुना के दरवाजा।
पधारे रिहिस हवै, शुभ तिथि बार कस।
भाई बर माँगे सुख, दुख डर दर्द तुक।
बेटी माई मन होथें, लक्ष्मी अवतार कस।
कातिक के अँधियारी, चमकत हवै भारी।
मन मोहे सुघराई, घर गली द्वार के।।
आतुर हे आय बर, कोठी मा समाय बर।
सोनहा सिंगार करे, धान खेत खार के।।
सुखी रहे सबे दिन, मया मिले छिन छिन।
डर जर दुख दर्द, भागे दूर हार के।।
मन मा उजास भरे, सुख सत फुले फरे।
गाड़ा गाड़ा हे बधाई, देवारी तिहार के।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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2, कुंडलियाँ छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
देवारी त्यौहार के, होवत हावै शोर।
मनखे सँग मुस्कात हे, गाँव गली घर खोर।
गाँव गली घर खोर, करत हे जगमग जगमग।
करके पूजा पाठ, परे सब माँ लक्ष्मी पग।
लइका लोग सियान, सबे झन खुश हे भारी।
दया मया के बीज, बोत हावय देवारी।
भागे जर डर दुःख हा, छाये खुशी अपार।
देवारी त्यौहार मा, बाढ़े मया दुलार।।
बाढ़े मया दुलार, धान धन बरसे सब घर।
आये नवा अँजोर, होय तन मन सब उज्जर।
बाढ़े ममता मीत, सरग कस धरती लागे।
देवारी के दीप, जले सब आफत भागे।
लेवव जय जोहार जी,बॉटव मया दुलार।
जुरमिल मान तिहार जी,दियना रिगबिग बार।
दियना रिगबिग बार,अमावस हे अँधियारी।
कातिक पबरित मास,आय हे जी देवारी।
कर आदर सत्कार,बधाई सबला देवव।
मया रंग मा रंग,असीस सबे के लेवव।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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3,मत्तग्यंद सवैया- देवारी
चिक्कन चिक्कन खोर दिखे अउ चिक्कन हे बखरी घर बारी।
हाँसत हे मुसकावत हे सज आज मने मन गा नर नारी।
माहर माहर हे ममहावत आगर इत्तर मा बड़ थारी।
नाचत हे दियना सँग देखव कातिक के रतिहा अँधियारी।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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4,बरवै छंद(देवारी)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
सबे खूँट देवारी, के हे जोर।
उज्जर उज्जर लागय, घर अउ खोर।
छोट बड़े सबके घर, जिया लुभाय।
किसम किसम के रँग मा, हे पोताय।
चिक्कन चिक्कन लागे, घर के कोठ।
गली गाँव घर सज़ धज, नाचय पोठ।
काँटा काँदी कचरा, मानय हार।
मुचुर मुचुर मुस्कावय, घर कोठार।
जाला धुर्रा माटी, होगे दूर।
दया मया मनखे मा, हे भरपूर।
चारो कोती मनखे, दिखे भराय।
मिलजुल के सब कोई, खुशी मनाय।
बनठन के सब मनखे, जाय बजार।
खई खजानी लेवय, अउ कुशियार।
पुतरी दीया बाती, के हे लाट।
तोरन ताव म चमके,चमचम हाट।
लाड़ू मुर्रा काँदा, बड़ बेंचाय।
दीया बाती वाले, देख बलाय।
कपड़ा लत्ता के हे, बड़ लेवाल।
नीला पीला करिया, पँढ़ड़ी लाल।
जूता चप्पल वाले, बड़ चिल्लाय।
टिकली फुँदरी मुँदरी, सब बेंचाय।
हे तिहार देवारी, के दिन पाँच।
खुशी छाय सब कोती, होवय नाँच।
पहली दिन घर आये, श्री यम देव।
मेटे सब मनखे के, मन के भेव।
दै अशीष यम राजा, मया दुलार।
सुख बाँटय सब ला, दुख ला टार।
तेरस के तेरह ठन, बारय दीप।
पूजा पाठ करे सब, अँगना लीप।
दूसर दिन चौदस के, उठे पहात।
सब संकट हा भागे, सुबे नहात।
नहा खोर चौदस के, देवय दान।
नरक मिले झन कहिके, गावय गान।
तीसर दिन दाई लक्ष्मी, घर घर आय।
धन दौलत बड़ बाढ़य, दुख दुरिहाय।
एक मई हो जावय, दिन अउ रात।
अँधियारी ला दीया, हवै भगात।
बने फरा अउ चीला, सँग पकवान।
चढ़े बतासा नरियर, फुलवा पान।
बने हवै रंगोली, अँगना द्वार।
दाई लक्ष्मी हाँसे, पहिरे हार।
फुटे फटाका ढम ढम, छाय अँजोर।
चारो कोती अब्बड़, होवय शोर।
होय गोवर्धन पूजा, चौथा रोज।
गूँजय राउत दोहा, बाढ़य आज।
दफड़ा दमऊ सँग मा, बाजय ढोल।
अरे ररे हो कहिके, गूँजय बोल।
पंचम दिन मा होवै, दूज तिहार।
बहिनी मनके बोहै,भाई भार।
कई गाँव मा मड़ई, घलो भराय।
देवारी तिहार मा, मया गढ़ाय।
देवारी बगरावै, अबड़ अँजोर।
देख देख के नाचे, तनमन मोर।
जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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कज्जल छंद- देवारी
मानत हें सब झन तिहार।
होके मनखे मन तियार।
उज्जर उज्जर घर दुवार।
सरग घलो नइ पाय पार।
बोहावै बड़ मया धार।
लामे हावै सुमत नार।
बारी बखरी खेत खार।
नाचे घुरवा कुँवा पार।
चमचम चमके सबे तीर।
बने घरो घर फरा खीर।
देख होय बड़ मन अधीर।
का राजा अउ का फकीर।
झड़के भजिया बरा छान।
का लइका अउ का सियान।
सुनके दोहा सुवा तान।
गोभाये मन मया बान।
फुटे फटाका होय शोर।
गुँजे गाँव घर गली खोर।
चिटको नइहे तोर मोर।
फइले हावै मया डोर।
जुरमिल के दीया जलायँ।
नाच नाच सब झन मनायँ।
सबके मन मा खुशी छायँ।
दया मया के सुर लमायँ।
रिगबिग दीया के अँजोर।
चमकावत हे गली खोर।
परलव पँवरी हाथ जोर।
लक्ष्मी दाई लिही शोर।
जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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देवारी मा पानी(तातंक छंद)
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा।
कतको के सपना पउलागे,अइसन आफत आरी मा।
हाट बजार मा पानी फिरगे,दीया बाती बाँचे हे।
छोट बड़े बैपारी सबके,भाग म बादर नाँचे हे।
खुशी झोपड़ी मा नइ हावै,नइहे महल अटारी मा।
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा।
काम करइया मनके जाँगर,बिरथा आँसों होगे हे।
बिना लिपाये घर दुवार के,चमक धमक सब खोगे हे।
फुटे फटाका धमधम कइसे,चिखला पानी धारी मा।
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा----।
चौंक पुराये का अँगना मा,काय नवा कपड़ा लत्ता।
काय सुवा का गौरा गौरी,तने हवे खुमरी छत्ता।
काय बरे रिगबिग दियना हा,कातिक केअँधियारी मा।
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा-----।
पाके धान के कनिहा टुटगे,कल्हरत हे दुख मा भारी।
खेत खार अउ रद्दा कच्चा,कच्चा हे बखरी बारी।
मुँह किसान के सिलदिस बादर,भात ल देके थारी मा।
रझरझ रझरझ बरसे बादर,आँसों के देवारी मा-----।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
आप सबो ला देवारी तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई