Sunday 13 March 2022

पुन्नी के चंदा(सार चंदा)

 पुन्नी के चंदा(सार चंदा)


पुन्नी रात म चमचम चमकत,नाँचत हावै चंदा।

अँधियारी रतिहा ला छपछप,काँचत हावै चंदा।


बरै चँदैनी सँग में रिगबिग, सबके मन ला भाये।

घटे बढ़े नित पाख पाख मा,एक्कम दूज कहाये।

कभू चौथ के कभू ईद के, बनके जिया लुभाये।

शरद पाख सज सोला कला म,अमृत बूंद बरसाये।

सबके मन में दया मया ला,बाँचत हावै चंदा--।

पुन्नी रात म चमचम चमकत,नाँचत हावै चंदा।


बिन चंदा के हवै अधूरा,लइका मन के लोरी।

चकवा रटन लगावत हावै,चंदा जान चकोरी।

कोनो मया म करे ठिठोली,चाँद म महल बनाहूँ।

कहे पिया ला कतको झन मन,चाँद तोड़ के लाहूँ।

बिरह म रोवत बिरही ला अउ,टाँचत हावै  चंदा--।

पुन्नी रात म चमचम चमकत,नाँचत हावै चंदा।


सबे तीर उजियारा हावै,नइहे दुःख उदासी।

चिक्कन चिक्कन घर दुवार हे,शुभ हे सबके रासी।

गीता रामायण गूँजत हे, कविता गीत सुनाये।

खीर चुरत हे चौक चौक मा,मिलजुल भोग लगाये।

धरम करम ला मनखे मनके,जाँचत हावै चंदा----।

पुन्नी रात म चमचम चमकत,नाँचत हावै चंदा।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

झन बिगाड़ होली मा बोली- गीत(चौपाई छंद)

 झन बिगाड़ होली मा बोली- गीत(चौपाई छंद)


चिल्लाथस बड़ होली होली, लोक लाज के फाटक खोली।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


मया पिरित के ये तिहार मा, द्वेष रहे झन तीर तार मा।

बार बुराई होली रचके, चल गिनहा रद्दा ले बचके।।

उठे कभू झन सत के डोली, पथ चतवार असत ला छोली।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


बजा नँगाड़ा झाँझ मँजीरा, नाच नाच दुरिहा दुख पीरा।

समा जिया मा सब मनखे के, दया मया नित ले अउ दे के।

छीच मया के रँग ला घोली, बना बने मनखे के टोली।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


एखर ओखर खाथस गारी, अबड़ मताथस मारा मारी।

भाय नही कोनो हर तोला, लानत हे अइसन रे चोला।।

दारू पानी गाँजा गोली, गटक कभू झन मिल हमजोली।।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

होली गीत

 होली गीत


आवत हे आवत हे आवत हे आवत हे आवत हे।

करिया रंग धरके करिया टूरा।।

लगथे बइहा पगला वो पूरा।।


पाना असन डोलत हे।

थेथेर मेथेर बोलत हे।

अपने अपन हाँसत हे,

येला वोला छोलत हे।।

गिरे हावय जिनगी धूरा--

करिया रंग धरके करिया टूरा।।


बात बानी माने नही।

बड़े छोटे जाने नही।

गिधवा कस देखत हे,

दया मया साने नही।

टूट गेहे पाटी अउ खूरा----

करिया रंग धरके करिया टूरा।।


चाल चलन किरहा हे।

कपड़ा लत्ता चिरहा।

हारे थके बइगा गुनिया,

सपडे शनि गिरहा हे।

काम आथे घलो धतूरा----

करिया रंग धरके करिया टूरा।।


होरा भूंजही छानी मा।

पेराही खुद घानी मा।

डूब जाही एक दिन,

चुल्लू भर पानी मा।

सपना होही चूरा चूरा------

करिया रंग धरके करिया टूरा।।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

गीत- होली मा हुड़दंग

 गीत- होली मा हुड़दंग


होत हावय होली मा हुड़दंग---

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


फागुन के गाना नइहे,नइहे नँगाड़ा।

डीजे मा डोलत हें, पारा के पारा।।

कोई पीये हे दारू कोई भंग--

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


छोटे अउ बड़े के, नइहे लिहाज।

मान मर्यादा ऊपर, गिरगे हे गाज।

चारो कोती फदके हे जंग----

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


असत धरा देहे, सत ला होली मा।

जहर बरसत हावय, सबके बोली मा।

दया मया गय चुक्ता खंग-----

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


धीरे धीरे उठत हे, होली के डोली।

भीगें नइहे धोती, कुर्था साफा चोली।

कपड़ा लत्ता निच्चट हे तंग---

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


पियइया खवइया,नाचे अउ कुदे।

होगे पानी पानी, बने मनखे खुदे।

जावँव कते टोली के संग----

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


परब के मरम ला, जाने ना माने।

ताकत हें मनखे मन, जइसे गिधाने।

देख काँपत हे मोर अंग अंग---

कइसे खेलँव गुलाल अउ रंग।।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

नारी शक्ति महान- गीत

 नारी शक्ति महान- गीत


नारी शक्ति महान रे भाई ।।नारी शक्ति महान।

घर समाज देश राज विश्व का, आज वही है शान।

नारी शक्ति महान रे भाई।। नारी शक्ति महान।।


बहन बेटी मां पत्नी बनकर,दुनिया का सिंगार किया।

दुर्गा लक्ष्मी चंडी बनकर, दुष्टों का संहार किया।।

जल थल क्या आकाश सभी में, है उनकी योगदान।

नारी शक्ति महान रे भाई ।।नारी शक्ति महान।


उच्च सिहासन पर काबिज है, नारी अपने देश की।

हारी नहीं कभी भी किसी से, बस मिसाल है पेश की।।

जग में इतने काम किये कि, मुश्किल है गुणगान।

नारी शक्ति महान रे भाई।। नारी शक्ति महान।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

छेल्ला गरु गाय होगे।

 छेल्ला गरु गाय होगे।


जतके गोबर गौठान होइस, ततके बाय होगे।

गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।


भाई बटवारा मा, ब्यारा नइ बाँचिस।

हार्वेस्टर के लुवई मा, चारा नइ बाँचिस।

गौठान कब्जागे, चरागन रुँधागे।

चरवाहा बपुरा, बिन बूता ऊँघागे।

कुकुर पलई फेसन होगे, गोधन हर्राय होगे।

गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।


कुकर मा भात चूरे, नइ निकले पसिया।

ता भला काला पीही, गाय पँड़डू बछिया।

दूध दही घींव लेवना, दुकान मा बेंचात हे।

राउत भाई बहिनी मन,फोकटे हो जात हे।

ना दुहना ना मथनी, गजब दिन करोनी खाय होगे।

गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।


गोबर कचरा काँदी पैरा, सबला फटफट लागे।

कोठा उप्पर बिल्ड़िंग बनगे, सुखयारिन बहू आगे।

यूरिया डीपी कस अउ आगे, रंग रंग के खातू।

घुरवा गरुवा छोड़ छाड़ के, खुश हे आज बरातू।

गाय गरु के सड़क सहारा,बिन गोसँइयाँ हाय होगे।

गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।


खेत मा नइहे, बइला बछवा के काम।

ता कोन करे ओखर, सेवा सुबे शाम।

ना लीपे बर गोबर चाही, ना बारे बर छेना।

ता गाय बइला बछवा ले, कोनो ला का लेना।

गौ सेवा गोविंद सेवा, पोथी मा लिखाय होगे।

गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।


ना गाड़ा ना खाँसर, ना बेलन ना दँउरी।

अमेजन मा छेना,अमेजन मा गौरा गउरी।

केमिकल के स्वाद, जीभ ला भावत हे।

अमूल देवभोग साँची, घरों घर आवत हे।

स्वारथ सधत सेवा रिहिस, अब काय होगे।

गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

Sunday 6 March 2022

झन बिगाड़ होली मा बोली- गीत(चौपाई छंद)

 झन बिगाड़ होली मा बोली- गीत(चौपाई छंद)


चिल्लाथस बड़ होली होली, लोक लाज के फाटक खोली।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


मया पिरित के ये तिहार मा, द्वेष रहे झन तीर तार मा।

बार बुराई होली रचके, चल गिनहा रद्दा ले बचके।।

उठे कभू झन सत के डोली, पथ चतवार असत ला छोली।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


बजा नँगाड़ा झाँझ मँजीरा, नाच नाच दुरिहा दुख पीरा।

समा जिया मा सब मनखे के, दया मया नित ले अउ दे के।

छीच मया के रँग ला घोली, बना बने मनखे के टोली।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


एखर ओखर खाथस गारी, अबड़ मताथस मारा मारी।

भाय नही कोनो हर तोला, लानत हे अइसन रे चोला।।

दारू पानी गाँजा गोली, गटक कभू झन मिल हमजोली।।

झन बिगाड़ होली मा बोली, झन बिगाड़ होली मा बोली।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)