Monday, 8 December 2025

सपना

 ...............सपना.............

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रतिहा रोत रहेंव,

रहि-रहि के सपना म |

डरे-डर म,सुते सुते,

दबे-दबे   दसना  म  |


जंगल गे रेहेंव, 

पिकनिक मानेल |

करेन हो हल्ला,

नाचेन- गायेन |

भूँकर-भूँकर के,

गोल्लर कस,

उछर-उछर के खायेन |

मँउहा मारिस मितान मन,

मँय मन मडा़येव चखना म|

रतिहा रोत रेहेंव,

रहि-रहि के सपना म....|


जिंहा बँसरी बाजे,

तिहा डिस्को बाजत हे|

जिहा राहस राचे,

तिहा जुआ  मातत हे |

मॉस मछरी कस मजा,

नइहे मटर मखना म....|

रतिहा रोत रेहेंव,

रहि-रहि के सपना म...|


चारो मुड़ा सीसी-बॉटल,

अऊ गुटका पाऊच पड़े हे|

बीड़ी-सिकरेट म,

झुंझकुर झाड़ी अऊ पेड़़ जरे हे|

हुरहा हलिस पहाड़,

चपकागेव बड़का पखना म...|

रतिहा रोत रेहेंव,

रहि-रहि के सपना म............|


अलगागे गोड़ के जोंड़,

कुटी-कुटी टुटगे कनिहा,

दाई-ददा बरजत रिहिस,

अति करेल पिकनिक झनि जा|

टुटिस सपना ताहन कहॉ के पथना,

गोड़ खुसरे राहय खटिया के गँथना म..|

रतिहा रोत रेहेव,

रहि-रहि के सपना म........................|


सिरतोन म का ददा,

सपना म घलो नइ गोड़ तोड़वांव |

कान धरलेव अतलंगहा बन,

पिकनिक नई जांव |


             जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

              बाल्को(कोरबा)