Monday 27 November 2017

महतारी भाँखा

महतारी भाँखा(गीत)

मोर छत्तीसगढ़िया बेटा बदलगे,
बिसरात  हे भाँखा बोली......।
बड़ई नइ करे अपन भाँखा के,
करथे जी ठिठोली..............।

गिल्ली भँवरा बाँटी भुलाके,
खेले       क्रिकेट     हाँकी।
माटी   ले   दुरिहाके   संगी,
मारत       हावय    फाँकी।
चिरई पिला चींव चींव कइथे,
कँउवा   के     काँव    काँव।
गइया के बछरू हम्मा कइथे,
हुँड़ड़ा    के    हाँव      हाँव।
फेर मंदरस गुरतुर बोली मा,
मिंझरत हावय अब गोली..।

हटर हटर जिनगी भर करे।
छोड़े मीत मितानी।
देखावा  हा   आगी  लगे हे,
मारे  बड़   फुटानी।
पाके माया गरब करत हे,
बरोवत  हवे  पिरीत ला।
नइ  जाने  दया मया ला,
तोड़त  हावय  रीत  ला।
होटल ढाबा लॉज  भाये,
नइ भाये रँधनी खोली..।

सनहन पेज महिरी बासी,
अउ अँगाकर  नइ  खाये।
अपन मुख ले अपन भाँखा के,
गुण   कभू      नइ         गाये।
छत्तीसगढ़ महतारी के गा,
कोन    ह   नांव   जगाही।
हमर छोड़ अउ कोन भला,
छत्तीस गढ़िया    कहाही।
तीजा पोरा ल का जानही,
नइ जाने देवारी होली....।

जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

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