Wednesday 26 September 2018

म्हाभुजंग प्रयात छंद

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"के भुजंगप्रयात छंद(मयारू तोर मया)

मयारू मया तोर हे मोर आशा।
ढुला ना मया ला बना खेल पाशा।
करेजा हरे साग भाजी नही वो।
कटाही भुँजाही त कैसे रही वो।1।

मया तैं जता बाट देखा बने वो।
कते बात ला गाँठ बाँधे तने वो।
कचारे मया के धुरी ला बही तैं।
करे फोकटे वो दहीं के महीं तैं।2।

दया ना मया तोर हे तीर गोरी।
जराये जिया ला रचा रोज होरी।
करौं का करौंदा तिहीं हा बताना।
पियासे हवौं प्रीत पानी पियाना।3।

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