Wednesday 12 June 2019

काव्यांजलि

खुमान जी ल काव्यांजलि (चौपई छंद)

धान कटोरा के दुबराज,कइसे दुबके तैंहर आज।
सुसकत हावय सरी समाज,रोवय तोर साज अउ बाज।1।

चंदैनी गोदा मुरझाय,संगी साथी मुड़ी ठठाय।
तोर बिना दुच्छा संगीत,लेवस तैं सबके मन जीत।2।

हारमोनियम धरके हाथ,तबला ढोलक बेंजो साथ।
बाँटस मया दया सत मीत,गावस बने मजा के गीत।3।

तोर दिये जम्मो संगीत,हमर राज के बनके रीत।
सुने बिना नइ जिया अघाय,हाय साव तैं कहाँ लुकाय।4।

झुलथस नजर नजर मा मोर,काल बिगाड़े का जी तोर।
तोर कभू नइ नाम मिटाय,सातो जुग मा रही लिखाय।5।

तोर पार ला पावै कोन,तैंहर पारस अउ तैं सोन।
मस्तुरिहा सँग जोड़ी तोर,देय धरा मा अमरित घोर।6।

तोर उपर हम सबला नाज,शासन ले हे बड़े समाज।
माटी गोंटी मुरुख सकेल,खेलन दे देखावा खेल।7।

गाँव ठेकवा के शमशान,गा गा कहे खुमान खुमान।
धन धन धरा ठेकवा धाम,होय जिहाँ सुर म सुबे शाम।8।

सबके अन्तस् मा दे घाव,बसे सरग मा दुलरू साव।
सच्चा छत्तीसगढ़िया पूत,शारद मैया के तैं दूत।9।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
खैरझिटी, राजनांदगांव(छग)
9981441795

No comments:

Post a Comment