Saturday, 11 January 2020

कुकुभ छंद-जीतेन्द्र वर्मा

स्वामी विवेकानन्द(कुकुभ छंद)

स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही रे।
नीति नियम सत कठिन डहर के, स्वामी सच्चा राही रे।

भारतीय दर्शन के दौलत, भारती वासी के हीरा।
ज्ञान धरम सत जोत जलाके, दूर करिस दुख अउ पीरा।
पढ़ लौ गढ़ लौ स्वामी जी ला, मन म उमंग समाही रे।
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही रे।

संत शिरोमणि सत के साथी, विद्वान वीर वैरागी।
भाईचारा बाँट बुझाइस, ऊँच नीच छलबल आगी।
अन्तस् मा आनंद जगाले, दुःख दरद दुरिहाही रे।
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही रे।

सोन चिरैया के चमकैया, सोये सुख आस जगैया।
भारत के ज्ञानी बेटा के, परे खैरझिटिया पैया।
गुरतुर बोली ज्ञान ध्यान सत, जीवन सफल बनाही रे।
स्वामी जी के का गुण बरनौं, खँगगे कलम सियाही रे।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)

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