Wednesday 24 August 2022

तीजा पोरा के गीत

 तीजा पोरा के गीत


: सुरता मइके के-गीत


सावन काँटेंव मैं गिनगिन, सुरता मा दाई वो।

कि आही तीजा लेय बर, भादो मा भाई वो।।


मइके के सुरता , नजरे नजर झुलथे।

देखतेंव दसमत पेड़ ल, के फूल फुलथे।

मोर थारी अउ लोटा म, कोन बासी खाथे।

तुलसी चौरा म बिहना, पानी कोन चढ़ाते।

हे का चकचक ले उज्जर, कढ़ाई दाई वो--

आही तीजा------


गाय गरुवा मोर बिन सुर्हरथे कि नही।

खेकसी कुंदरू बारी म फरथे कि नही।

कुँवा म पानी कतका भरे हवे।

का मोला अगोरत,पड़ोसिन खड़े हवे।

मोर कुरिया म कोन करथे पढाई दाई वो---

आही तीजा------


दुरिहा दिये दाई तैंहर अपन कोरा ले।

मइके लाही कहिके,मोला तीजा पोरा में।

जल्दी भेज न दाई बाट जोहत हँव वो।

मइके के सुरता म मैहा रोवत हँव वो।

एकेदरी थोरे सुरता भुलाही दाई वो---

आही तीजा---


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा

💐💐💐💐💐💐💐

 कुकुभ छंद-जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"


सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।

राँध ठेठरी खुरमी भजिया,करे हवै सबझन जोरा।


भादो मास अमावस के दिन,पोरा के परब ह आवै।

बेटी माई मन हा ये दिन,अपन ददा घर सकलावै।

हरियर धनहा डोली नाचै,खेती खार निंदागे हे।

होगे हवै सजोर धान हा,जिया उमंग समागे हे।

हरियर हरियर दिखत हवै बस,धरती दाई के कोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।1


मोर होय पूजा नइ कहिके,नंदी बइला हा रोवै।

भोला तब वरदान ल देवै,नंदी के पूजा होवै।

तब ले नंदी बइला मनके, पूजा होवै पोरा मा।

सजा धजा के भोग चढ़ावै,रोटी पीठा जोरा मा।

पूजा पाठ करे मिल सबझन,सुख पाये झोरा झोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।2


कथे इही दिन द्वापर युग मा,पोलासुर उधम मचाये।

मनखे तनखे बइला भँइसा,सबझन ला बड़ तड़पाये।

किसन कन्हैया हा तब आके,पोलासुर दानव मारे।

गोकुलवासी खुशी मनावै,जय जय सब नाम पुकारे।

पूजा ले पोरा बइला के,भर जावय उना कटोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।3


दूध भराये धान म ये दिन,खेत म नइ कोनो जावै।

परब किसानी के पोरा ये,सबके मनला बड़ भावै।

बइला मनके दँउड़ करावै,सजा धजा के बड़ भारी।

पोरा परब तिहार मनावय,नाचय गावय नर नारी।

खेले खेल कबड्डी खोखो,नारी मन भीर कसोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।4


बाबू मन बइला ले सीखे,महिनत अउ काम किसानी

नोनी मन पोरा जाँता ले,होवय हाँड़ी के रानी।

पूजा पाठ करे बइला के,राखै पोरा मा रोटी।

भरे अन्न धन सबके घर मा,नइ होवै किस्मत खोटी।

परिया मा मिल पोरा पटके,अउ पीटे बड़ ढिंढोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।5


सुख समृद्धि धन धान्य के,मिल सबे मनौती माँगे।

दुःख द्वेष ला दफनावै अउ,मया मीत ला उँच टाँगे।

धरती दाई संग जुड़े के,पोरा देवय संदेशा।

महिनत के फल खच्चित मिलथे,नइ तो होवै अंदेशा।

लइका लोग सियान सबे झन,पोरा के करै अगोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।6


छंदकार-जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"

पता-बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)



पोरा(ताटंक छंद)


बने हवै माटी के बइला,माटी के पोरा जाँता।

जुड़े हवै माटी के सँग मा,सब मनखे मनके नाँता।


बने ठेठरी खुरमी भजिया,बरा फरा अउ सोंहारी।

नदिया बइला पोरा पूजै, सजा आरती के थारी।


दूध धान मा भरे इही दिन,कोई ना जावै डोली।

पूजा पाठ करै मिल मनखे,महकै घर अँगना खोली।


कथे इही दिन द्वापर युग मा,कान्हा पोलासुर मारे।

धूम मचे पोला के तब ले,मनमोहन सबला तारे।


भादो मास अमावस पोरा,गाँव शहर मिलके मानै।

हूम धूप के धुँवा उड़ावै,बेटी माई ला लानै।


चंदन हरदी तेल मिलाके,घर भर मा हाँथा देवै।

धरती दाई अउ गोधन के,आरो सब मिलके लेवै।


पोरा पटके परिया मा सब,खो खो अउ खुडुवा खेलै।

संगी साथी सबो जुरै अउ,दया मया मिलके मेलै।


बइला दौड़ घलो बड़ होवै,गाँव शहर मेला लागै।

पोरा रोटी सबघर पहुँचै,भाग किसानी के जागै।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया",

 बाल्को(कोरबा)

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लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


तीजा पोरा


मुचुर मुचुर मन मुसकावत हे, देख करत तोला जोरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


कभू अकेल्ला कहाँ रहे हँव, तोर बिना मैं महतारी।

जावन नइ दँव मैंहर तोला, देवत रह कतको गारी।

बेटी बर हे सरग बरोबर, दाई के पावन कोरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


अपन पीठ मा ममा चघाके, मोला ननिहाल घुमाही।

भाई बहिनी संग खेलहूँ, मोसी मन सब झन आही।

मया ममा दाऊ के पाहूँ, खाहूँ खाजी अउ होरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


कइसे रथे उपास तीज के, नियम धियम होथे कइसन।

सीखे पढ़े महूँ ला लगही, नारी मैं तोरे जइसन।

गिनगिन सावन मास काटहूँ, भादो के करत अगोरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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कुकुभ छंद-जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"


सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।

राँध ठेठरी खुरमी भजिया,करे हवै सबझन जोरा।


भादो मास अमावस के दिन,पोरा के परब ह आवै।

बेटी माई मन हा ये दिन,अपन ददा घर सकलावै।

हरियर धनहा डोली नाचै,खेती खार निंदागे हे।

होगे हवै सजोर धान हा,जिया उमंग समागे हे।

हरियर हरियर दिखत हवै बस,धरती दाई के कोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।1


मोर होय पूजा नइ कहिके,नंदी बइला हा रोवै।

भोला तब वरदान ल देवै,नंदी के पूजा होवै।

तब ले नंदी बइला मनके, पूजा होवै पोरा मा।

सजा धजा के भोग चढ़ावै,रोटी पीठा जोरा मा।

पूजा पाठ करे मिल सबझन,सुख पाये झोरा झोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।2


कथे इही दिन द्वापर युग मा,पोलासुर उधम मचाये।

मनखे तनखे बइला भँइसा,सबझन ला बड़ तड़पाये।

किसन कन्हैया हा तब आके,पोलासुर दानव मारे।

गोकुलवासी खुशी मनावै,जय जय सब नाम पुकारे।

पूजा ले पोरा बइला के,भर जावय उना कटोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।3


दूध भराये धान म ये दिन,खेत म नइ कोनो जावै।

परब किसानी के पोरा ये,सबके मनला बड़ भावै।

बइला मनके दँउड़ करावै,सजा धजा के बड़ भारी।

पोरा परब तिहार मनावय,नाचय गावय नर नारी।

खेले खेल कबड्डी खोखो,नारी मन भीर कसोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।4


बाबू मन बइला ले सीखे,महिनत अउ काम किसानी

नोनी मन पोरा जाँता ले,होवय हाँड़ी के रानी।

पूजा पाठ करे बइला के,राखै पोरा मा रोटी।

भरे अन्न धन सबके घर मा,नइ होवै किस्मत खोटी।

परिया मा मिल पोरा पटके,अउ पीटे बड़ ढिंढोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।5


सुख समृद्धि धन धान्य के,मिल सबे मनौती माँगे।

दुःख द्वेष ला दफनावै अउ,मया मीत ला उँच टाँगे।

धरती दाई संग जुड़े के,पोरा देवै संदेशा।

महिनत के फल खच्चित मिलथे,नइ तो होवै अंदेशा।

लइका लोग सियान सबे झन,पोरा के करै अगोरा।

सजे हवे माटी के बइला,माटी के जाँता पोरा।6


जीतेन्द्र कुमार वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)


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