Thursday 6 December 2018

मुसवा (सार छंद)

मुसवा(सार छंद)

कुरकुर-कुरकुर करे रात दिन,मुसवा करिया करिया।
कुटी  कुटी  कपड़ा  ला  काटे,मति हा जाथे छरिया।

खा खा के भोगाये हावै,धान चँउर फर भाजी।
भँदई पनही घलो तुनागे,नइ बाँचत हे खाजी।
कभू खोधरे परवा छानी,अउ घर अँगना कोड़े।
तावा के रोटी ला झड़के,आरुग कुछु नइ छोड़े।
चोरो बोरो घर हर लागे,कोला परगे परिया---------।
कुरकुर-कुरकुर करे रात दिन,मुसवा करिया करिया।

गदबिद गदबिद भागे भारी,खटिया मा चढ़ जावै।
हाथ  गोड़  ला घलो ककोने,नींद  कहाँ  ले आवै।
कुरिया कोठी कोठा कोला,सबे खूँट हे कोरा।
मुसवा  लेड़ी  मा भरगे हे,पाठ पठउँहा बोरा।
बरी बिजौरी बाँचत नइहे,नइ बाँचत हे फरिया------।
कुरकुर-कुरकुर करे रात दिन,मुसवा करिया करिया।

साँप असन पुछी दिखत हे,खरहा कस हे काया।
मनखे  तनखे  ला  नइ घेपे,मुसवा के बड़ माया।
आँखी लाल ठाढ़ मूँछ हे,देख बिलैया भागे।
छेना खरही माटी होगे,घर हा डोलन लागे।
भारी उधम मचावत हावै,चीं चीं चीं चीं नरिया------।
कुरकुर-कुरकुर करे रात दिन,मुसवा करिया करिया।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को (कोरबा)

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