Friday 7 December 2018

सपना

...............सपना.............
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रतिहा रोत रहेंव,
रहि-रहि के सपना म |
डरे-डर म,सुते सुते,
दबे-दबे   दसना  म  |

जंगल गे रेहेंव,
पिकनिक मानेल |
करेन हो हल्ला,
नाचेन- गायेन |
भूँकर-भूँकर के,
गोल्लर कस,
उछर-उछर के खायेन |
मँउहा मारिस मितान मन,
मँय मन मडा़येव चखना म|
रतिहा रोत रेहेंव,
रहि-रहि के सपना म....|

जिंहा बँसरी बाजे,
तिहा डिस्को बाजत हे|
जिहा राहस राचे,
तिहा जुआ  मातत हे |
मॉस मछरी कस मजा,
नइहे मटर मखना म....|
रतिहा रोत रेहेंव,
रहि-रहि के सपना म...|

चारो मुड़ा सीसी-बॉटल,
अऊ गुटका पाऊच पड़े हे|
बीड़ी-सिकरेट म,
झुंझकुर झाड़ी अऊ पेड़़ जरे हे|
हुरहा हलिस पहाड़,
चपकागेव बड़का पखना म...|
रतिहा रोत रेहेंव,
रहि-रहि के सपना म............|

अलगागे गोड़ के जोंड़,
कुटी-कुटी टुटगे कनिहा,
दाई-ददा बरजत रिहिस,
अति करेल पिकनिक झनि जा|
टुटिस सपना ताहन कहॉ के पथना,
गोड़ खुसरे राहय खटिया के गँथना म..|
रतिहा रोत रेहेव,
रहि-रहि के सपना म........................|

सिरतोन म का ददा,
सपना म घलो नइ गोड़ तोड़वांव |
कान धरलेव अतलंगहा बन,
पिकनिक नई जांव |

             जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
              बाल्को(कोरबा)

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