...........तो मार मुझे.............
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माना नजरें , गलत थी मेरी,
पर नजरें तेरी सही है,तो मार मुझे।
हाँ दिल में बैर, पाल रखा था मैंने,
पर तेरे दिल में बैर नही है,तो मार मुझे।
आज तो बुराई घर घर, घर कर गई है,
यदि सच में बुराई यही है,तो मार मुझे।
मैं तो कब का मर चुका हूँ,श्रीराम के हाथो,
तेरे दिल में राम कही है, तो मार मुझे।
मैं तो बहक गया था,हाल बहन का देखकर,
वो सनक तेरी रग में बही है,तो मार मुझे।
मैंने तो लुटा दिया,घर परिवार सब कुछ,
मेरे कारण तेरी आस ढही है,तो मार मुझे।
मुझे मारकर आखिर, क्या मिलेगा?
ये माटी का पुतला वही है,तो मार मुझे।
मैं तो हर बार मरने को, तैयार बैठा हूँ,
यदि बुराई कम हो रही है ,तो मार मुझे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
विजयदशमी पर्व की आप सबको ढेरों बधाइयाँ
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