Thursday 14 October 2021

@@@कलमकार@@@

 @@@कलमकार@@@


कलमकार  हरौं, चाँटुकार  नही।

दरद झेल सकथौं,फेर मार नही।


दुख के दहरा म,अन्तस् ल बोरे हँव।

अपन लहू म,कलम ल चिभोरे हँव।

मैं तो मया मधुबन चाहथौं,

मरुस्थल थार नही-----------


बने बात के गुण,गाथौं घेरी बेरी।

चिटिक नइ सुहाये,ठग-जग हेरा फेरी।

सत अउ श्रद्धा मा,माथ नँवथे बरपेली,

फेर फोकटे दिखावा स्वीकार नही-------


हारे ला ,हौंसला देथौं मँय।

दबे स्वर ला,गला देथौं मँय।

सपना निर्माण के देखथौं,

चाहौं  कभू उजार नही---------


समस्या बर समाधान अँव मैं।

प्रार्थना आरती अजान अँव मैं।

मनखे अँव साधारण मनखे,

कोनो ज्ञानी ध्यानी अवतार नही-------


फोकटे तारीफ,तड़पाथे मोला।

गिरे थके के संसो,सताथे मोला।

जीते बर उदिम करहूँ जीयत ले,

मानौं कभू हार नही-------------


ऊँच नीच भेदभाव पाटथौं।

कलम ले अँजोरी बाँटथौं।

तोड़थौं इरसा द्वेष क्लेश,

फेर मया के तार नही----------


भुखाय बर पसिया,लुकाय बर हँसिया अँव।

महीं कुलीन,महीं घँसिया अँव।

मँय मीठ मधुरस हरौं,

चुरपुर मिर्चा झार नही----------


हवा पानी अगास पाताल।

कहिथौं मँय सबके हाल।

का सजीव का निर्जीव मोर बर,

मँय लासा अँव,हँथियार नही-------


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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