काबर बुरा नइ मानबों
काबर बुरा नइ मानबों,
बुरा करबे त?
हँमू लड़बों,
बरपेली लड़बे त।
आय हे होली,
बोल मीठ बोली।
काबर उलगत हस,
मुँह ले गोली।
छीत देबों माटी तेल,अपने अपन बरबे त।
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करबे त?
मया के तिहार हे।
जुरे पारा -परिवार हे।
उड़य रंग गुलाल,
हमाय खुसी अपार हे।
बाँट खुसी,खाबे गारी;कहूं लड़बे त।
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करब त?
माते हे फागुन, रचे हे रास।
मजा उड़ाले,झन कर नास।
बाजे नँगाड़ा,गा अउ नाच।
सबला हँसा, तहूँ हा हाँस।
मार खाबे मया के बगिया ल;चरबे त।
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करबे त?
समा सबके मुँह मा,
काबर फोकटे लड़थस?
का मिलथे तोला?
कोचके कस करथस।
मया के रंग लगाले,
कोन का कही?
रबे बने बनके,
त सबके आसिस रही।
कोनो तिहार हा,
बुरा करेल नइ काहय।
फोकटे अँटियात हस,कोन रोही मरबे त?
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करबे त?
रंग लगाय बर गाल का?
हिरदे घलो लमा देबों।
पाँव ला का खिंचथस?
मूड़ मा चढ़ा लेबों।
मनखे कोनो अलग नोहे,
सब ला अपन मान।
दाई -ददा रीत-रिवाज।
सबके कर सम्मान।
नाव बगरही,अंजोर बर;भभका धरबे त।
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करबे त?
होली हे ; त हद में रहा।
मनखे कस, कद में रहा।
मान बड़े के बात बरजना,
छीत फूल,झन रद-खद में रहा।
सबो दिही पलोंदी, सोझ चढ़बे त।
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करबे त?
चल बुरा नइ मानन,
होली हे।
का हिरदे मा मया?
अउ मीठ बोली हे?
जेन दिन तोर हिरदे मा,
मया जाग जही।
बोली मीठ साफ रही।
वो दिन लइका कस,
तोरो गलती माफ रही।
बड़ पून्न कमाबे,सुनता के संग धरबे त।
काबर बुरा नइ मानबों,बुरा करबे त?
राचर कपाट ला,
कुवाँ बावली मा बोर देथे।
रंग गुलाल ठीक हे फेर
नाली मा तक बोर देथे।
हुदरे कोचके कस करथे,
का मारी दिही ता जानबे?
जी खखवा जाथे,
कइसे बुरा नइ मानबे।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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