Wednesday, 14 May 2025

गीत-भाँखा छत्तीसगढ़ी मोर

 गीत-भाँखा छत्तीसगढ़ी मोर


ये भाँखा छत्तीसगढ़ी मोर।

बाँधे सब ला जइसे डोर।।

बोले बर मँय नइ छोवँव....


ये महतारी के ए बानी।

बहे बनके अमृत पानी।।

घर गाँव गली बन खोर।

सबे खूँट हावय एखर शोर।

बोले बर मँय नइ छोवँव....


समाथे अंतस मा जाके।

मिठाथे जइसे फर पाके।।

आलू बरी मुनगा के फोर।

डुबकी अउ इड़हड़ के झोर।

बोले बर मँय नइ छोवँव....


बोले मा लाज शरम काके।

बोलव सब छाती ठठाके।।

मन के अहं वहं ला टोर।

मया मीत बानी मा लौ घोर।

बोले बर कोई झन छोवव....


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


No comments:

Post a Comment