Saturday 19 August 2017

देस बर जीबों देस बर मरबों

देस बर जीबों देस बर मरबों

चल माटी के काया ल,हीरा करबों।
देस बर जीबो, देस बर  मरबों।
 
सिंगार करबों,सोन चिंरइयाँ के।
गुन   गाबोंन, भारत  मइया के।
स्वारथ  के सुरता ले, दुरिहाके।
धुर्रा चुपर के माथा म,भुइयाँ के।
घपटे अंधियारी भगाय बर,भभका धरबों।
देस बर जीबो, देस बर मरबों...............।

उँच  - नीच    ला ,  पाटबोन।
रखवार बन देस ल,राखबोन।
हवा     म    मया,   घोरबोन।
हिरदे ल हिरदे ले, जोड़बोन।
चल  दुख-पीरा ल, मिल  हरबों।
देस   बर  जीबों, देस बर मरबों।

मोला गरब-गुमान  हे,
ए  भुइयाँ  ल    पाके।
खड़े    रहूं    मेड़ो  म ,
जबर छाती फइलाके।
फोड़ दुहुं वो आँखी ल,
जे मोर भुइयाँ बर गड़ही।
लड़हूँ - मरहूँ   देस    बर ,
तभे काया के करजा उतरही।
तंउरबों बुड़ती समुंद म,उक्ती पहाड़ चढ़बो।
चल   देस   बर जीबो, देस बर मरबो.......।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

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