खेती नवा ढंग ले(छन्न पकैया)
छन्न पकैया छन्न पकैया,ये युग हरे मसीनी।
चना गहूँ होवय खेती ले,खेती ले गुड़ चीनी।
छन्न पकैया छन्न पकैया ,जुन्ना खेती सोवै।
बाँवत निदँई मतई सब्बो,नवा ढंग ले होवै।
छन्न पकैया छन्न पकैया,नइहे बइला गाड़ा।
नाँगर जूड़ा नइहे घर मा,बनगे टेक्टर माड़ा।
छन्न पकैया छन्न पकैया,तोर तीर सुख सोही।
करले जाँच बीज माटी के,धान पान बड़ होही।
छन्न पकैया छन्न पकैया ,भर्री धनहा डोली।
नइ पावस नाँगर बइला अउ,ओहो तोतो बोली।
छन्न पकैया छन्न पकैया,खुस हो खाले मांदी।
दवई मा झट मर जाथे जी, बन दूबी अउ कांदी।
छन्न पकैया छन्न पकैया ,डारे खातू माटी।
माछी मच्छर मुसवा मरगे,डरगे चिरई चाँटी।
छन्न पकैया छन्न पकैया,धान पान झट बाढ़े।
पइसा कौड़ी होना चाही,देख पार मा ठाढ़े।
छन्न पकैया छन्न पकैया,होय बने जिनगानी।
ट्यूबवेल खोदाये हावय,झरझर बोहै पानी।
छन्न पकैया छन्न पकैया,देख चीज का आगे।
देखत देखत धान लुवागे,अउ झट मिंजागे।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हाँस ले मुस्काले।
नवा नवा जी साधन मनके ,तैंहा गुन ला गाले।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
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