बइगा गुनिया(दोहा चौपाई छंद)
आदत ले लाचार हे, सुने नही गा बात।
घूमत रहिथे बने बन,बिहना ले वो रात।1
सरी मँझनिया घूमे टूरा।
सिरतों मा बइहा हे पूरा।
पीपर पेड़ तरी जा बइठे।
सबझन जिहाँ भूत हे कइथे।
झुँझकुर छइँहा हे मनभावन।
उँही मेर लागे सुरतावन।
बइठे टूरा गोड़ लमाये।
खुसरा घुघवा देख डराये।
खारे खार कोलिहा भागय।
देखय भोड़ू बड़ डर लागय।
नांग साँप के हरय बसेरा।
दँतिया भाँवर डारे डेरा।
हवा चले बड़ डारा डोले।
रहि रहि के बनबिलवा बोले।
काँव काँव कौवा चिल्लाये।
टेटका बिन बिन चाँटी खाये।
साँप पेड़ के उप्पर नाचे।
चिरई अंडा कइसे बाँचे।
चील बाज उड़ बादर नापे।
भूँके कुकुर जिया हा काँपे।
झरे पछीना तरतर तरतर।
काँपय टूरा थरथर थरथर।
हुरहा बड़का डारा टूटे।
मुँह ले बोल कहाँ ले फूटे।
सुध बुध खोये भागे पल्ला।
पारा भर मा होगे हल्ला।
दाई दाई कहि चिल्लाये।
मनखे तनखे बड़ सँकलाये।
हफरत हफरत काँपथे, रहिरहि के चिल्लाय।
घाम जेठ के अब्बड़ जरे,चक्कर खा गिर जाय।2
बोली बोलय आनी बानी।
डारव सिर मा ठंडा पानी।
खींच बाहरी कोनो मारव।
भूत धरे हे कोनो झारव।
लान जठावव खटिया खोर्रा।
मारव भँदँई मारव कोर्रा।
हाथ गोड़ ला चपकव दोनो।
जावव बइगा लानव कोनो।
जल्दी मरी मसान भगावव।
लइका लोग तीर झन आवव।
रोवय दाई बाबू बइठे।
आये बइगा मेंछा अँइठे।
आँखी मा छाये हे लाली।
पहिरे मूँदी माला बाली।
गुर्री गुर्री देखय बइगा।
माँगे नरियर लिमवा सइघा।
भूत भाग जा रे पीपर के।
छीचे राख जाप कर करके।
लानव खैरी कूकरी चंदन।
माँ काली के करहूँ बंदन।
लहूँ भरे हाथे हे लोटा।
देखब काँपे सबके पोटा।
बइगा लेवय लउहा लउहा।
जल्दी लानव लिमवा मउहा।
हँसिया धरे करे दू चानी।
काटे लिमऊ फेकय छानी।
बोलय मंतर बड़ चिल्लाये।
कुकरी काटे बली चढ़ाये।
जंतर मंतर मार के,बइगा भूत भगाय।
बंदन चाँउर छीच के,तनभर भभूत लगाय।3
फूँके मंतर बाँधे डोरी।
पइसा माँगे चालिस कोरी।
बोले भूत भाग गे कहिके।
चेत ह आही थोरिक रहिके।
भीड़ देख के डॉक्टर आगे।
बइगा गठरी बाँधे भागे।
बोले डॉक्टर चेकप करके।
गिरे हवय ये लइका डरके।
जरत घाम मा लू के डर हे।
बइगा नइ जाने का जर हे।
दवई ला जब लइका पीही।
का होइस तेला उठ कीही।
भूत प्रेत अउ जादू टोना।
हरे वहम एखर गा होना।
भूत प्रेत के डर देखाके।
ले जाथे पइसा गठियाके।
बइगा गुनिया के चक्कर मा।
मर जाथे लइका मन जर मा।
बइगा तीर कभू झन जावव।
कहीं होय डॉक्टर देखावव।
जादू टोना टोटका ,हरय अन्ध विश्वाश।
बइगा गुनिया झन धरव,लेगव डॉक्टर पास।4
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
आदत ले लाचार हे, सुने नही गा बात।
घूमत रहिथे बने बन,बिहना ले वो रात।1
सरी मँझनिया घूमे टूरा।
सिरतों मा बइहा हे पूरा।
पीपर पेड़ तरी जा बइठे।
सबझन जिहाँ भूत हे कइथे।
झुँझकुर छइँहा हे मनभावन।
उँही मेर लागे सुरतावन।
बइठे टूरा गोड़ लमाये।
खुसरा घुघवा देख डराये।
खारे खार कोलिहा भागय।
देखय भोड़ू बड़ डर लागय।
नांग साँप के हरय बसेरा।
दँतिया भाँवर डारे डेरा।
हवा चले बड़ डारा डोले।
रहि रहि के बनबिलवा बोले।
काँव काँव कौवा चिल्लाये।
टेटका बिन बिन चाँटी खाये।
साँप पेड़ के उप्पर नाचे।
चिरई अंडा कइसे बाँचे।
चील बाज उड़ बादर नापे।
भूँके कुकुर जिया हा काँपे।
झरे पछीना तरतर तरतर।
काँपय टूरा थरथर थरथर।
हुरहा बड़का डारा टूटे।
मुँह ले बोल कहाँ ले फूटे।
सुध बुध खोये भागे पल्ला।
पारा भर मा होगे हल्ला।
दाई दाई कहि चिल्लाये।
मनखे तनखे बड़ सँकलाये।
हफरत हफरत काँपथे, रहिरहि के चिल्लाय।
घाम जेठ के अब्बड़ जरे,चक्कर खा गिर जाय।2
बोली बोलय आनी बानी।
डारव सिर मा ठंडा पानी।
खींच बाहरी कोनो मारव।
भूत धरे हे कोनो झारव।
लान जठावव खटिया खोर्रा।
मारव भँदँई मारव कोर्रा।
हाथ गोड़ ला चपकव दोनो।
जावव बइगा लानव कोनो।
जल्दी मरी मसान भगावव।
लइका लोग तीर झन आवव।
रोवय दाई बाबू बइठे।
आये बइगा मेंछा अँइठे।
आँखी मा छाये हे लाली।
पहिरे मूँदी माला बाली।
गुर्री गुर्री देखय बइगा।
माँगे नरियर लिमवा सइघा।
भूत भाग जा रे पीपर के।
छीचे राख जाप कर करके।
लानव खैरी कूकरी चंदन।
माँ काली के करहूँ बंदन।
लहूँ भरे हाथे हे लोटा।
देखब काँपे सबके पोटा।
बइगा लेवय लउहा लउहा।
जल्दी लानव लिमवा मउहा।
हँसिया धरे करे दू चानी।
काटे लिमऊ फेकय छानी।
बोलय मंतर बड़ चिल्लाये।
कुकरी काटे बली चढ़ाये।
जंतर मंतर मार के,बइगा भूत भगाय।
बंदन चाँउर छीच के,तनभर भभूत लगाय।3
फूँके मंतर बाँधे डोरी।
पइसा माँगे चालिस कोरी।
बोले भूत भाग गे कहिके।
चेत ह आही थोरिक रहिके।
भीड़ देख के डॉक्टर आगे।
बइगा गठरी बाँधे भागे।
बोले डॉक्टर चेकप करके।
गिरे हवय ये लइका डरके।
जरत घाम मा लू के डर हे।
बइगा नइ जाने का जर हे।
दवई ला जब लइका पीही।
का होइस तेला उठ कीही।
भूत प्रेत अउ जादू टोना।
हरे वहम एखर गा होना।
भूत प्रेत के डर देखाके।
ले जाथे पइसा गठियाके।
बइगा गुनिया के चक्कर मा।
मर जाथे लइका मन जर मा।
बइगा तीर कभू झन जावव।
कहीं होय डॉक्टर देखावव।
जादू टोना टोटका ,हरय अन्ध विश्वाश।
बइगा गुनिया झन धरव,लेगव डॉक्टर पास।4
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795
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