गीत-मछरी
गरी म लहत हे, मछरी आनी बानी।
रझरझ गिरत हे, बड़ सावन मा पानी।।
कोमलकाल कटरंगा, केवई कटही कतला।
रुदवा रेछा रुखचग्घा, रोहू मोट्ठा पतला।।
सोंढुल सिंघी सरांगी, डड़ई डंडवा ढेसरा।
केंउ कोटरी कुप्पा, टेंगना खेगदा खेसरा।।
भाँकुड़ भेंड़ो भेर्री, भुंडा खोकसी कानी।।
रझरझ गिरत हे, बड़ सावन मा पानी।।
बामी ग्रासकाल गिनवा, मोहराली मोंगरी।
लुड्डू लुडुवा लपची, मिर्कल मुरल कोतरी।
पब्दा पढ़िना पेड़वा, बराकुड़ा तेलपिया।
बंजू बिजरवा चंदैनी, चिंगरी टोर कोकिया।
अरछा घँसरा वेला, हिनसा रावस रानी।
रझरझ गिरत हे, बड़ सावन मा पानी।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(कोरबा)
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