Saturday 14 August 2021

देशभक्ति

 

देशभक्ति

एक दिन के देश भक्ति (सरसी छन्द)-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


देशभक्ति चौदह के जागे, सोलह के छँट जाय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


आय अगस्त महीना मा जब, आजादी के बेर।

देश भक्ति के गीत बजे बड़, गाँव शहर सब मेर।

लइका संग सियान मगन हे, झंडा हाथ उठाय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


रँगे बसंती रंग म कोनो, कोनो हरा सफेद।

गावै हाथ तिरंगा थामे, भुला एक दिन भेद।

तीन रंग मा सजे तिरंगा, लहर लहर लहराय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


ये दिन आये सबझन मनला, बलिदानी मन याद।

गूँजय लाल बहादुर गाँधी, भगत सुभाष अजाद।

देशभक्ति के भाव सबे दिन, अन्तस् रहे समाय।

पंद्रह तारिक के दिन बस सब, जय भारत चिल्लाय।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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2, अपन देस(शक्ति छंद)


पुजारी  बनौं मैं अपन देस के।

अहं जात भाँखा सबे लेस के।

करौं बंदना नित करौं आरती।

बसे मोर मन मा सदा भारती।


पसर मा धरे फूल अउ हार मा।

दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।

बँधाये  मया मीत डोरी  रहे।

सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।


बसे बस मया हा जिया भीतरी।

रहौं  तेल  बनके  दिया भीतरी।

इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।

तभो  हे  घरो घर बिना बेंस के।

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चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।

सजाके बनावौं ग रानी सहीं।

किसानी करौं अउ सियानी करौं।

अपन  देस  ला  मैं गियानी करौं।


वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।

करत  मात  सेवा  सदा  मैं  बढ़ौ।

फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।

वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।

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जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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3, कइसे जीत होही(सार छंद)


हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी।

जे मन चाहै ये माटी हा,होवै चानी चानी----।


देश प्रेम चिटको नइ जानै,करै बैर गद्दारी।

भाई चारा दया मया ला,काटै धरके आरी।

झगरा झंझट मार काट के,खोजै रोज बहाना।

महतारी  ले  मया करै नइ,देवै रहि रहि ताना।

पहिली ये मन ला समझावव,लात हाथ के बानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी--।


राजनीति  के  खेल निराला,खेलै  जइसे  पासा।

अपन सुवारथ बर बन नेता,काटै कतको आसा।

मातृभूमि के मोल न जानै,मानै सब कुछ गद्दी।

मनखे  मनके मन मा बोथै,जात पात के लद्दी।

फौज  फटाका  धरै फालतू,करै मौज मनमानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी--।


तमगा  ताकत  तोप  देख  के,काँपै  बैरी  डर मा।

फेर बढ़े हे भाव उँखर बड़,देख विभीषण घर मा।

घर मा  ये  मन  जात  पात  के,रोज मतावै गैरी।

ताकत हावय हाल देख के,चील असन अउ बैरी।

हाथ  मिलाके  बैरी  मन ले,बारे  घर  बन छानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी----।


खावय ये माटी के उपजे,गावय गुण परदेशी।

कटघेरा मा डार वतन ला,खुदे लड़त हे पेशी।

अँचरा फाड़य महतारी के,खंजर गोभय छाती।

मारय काटय घर वाले ला,पर ला भेजय पाती।

पलय बढ़य झन ये माटी मा,अइसन दुश्मन जानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी-----।


घर के बइला नाश करत हे, हरहा होके खेती।

हारे हन इतिहास झाँक लौ,इँखरे मन के सेती।

अपन देश के भेद खोल के,ताकत करथे आधा।

जीत भला  तब कइसे होही,घर के मनखे बाधा।

पहिली पहटावय ये मन ला,माँग सके झन पानी।

हमर देश मा भरे पड़े हे,कतको पाकिस्तानी----।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा) छग

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4, बलिदानी (सार छंद)


कहाँ चिता के आग बुझा हे,हवै कहाँ आजादी।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


बैरी अँचरा खींचत हावै,सिसकै भारत माता।

देश  धरम  बर  मया उरकगे,ठट्ठा होगे नाता।

महतारी के आन बान बर,कोन ह झेले गोली।

कोन  लगाये  माथ  मातु के,बंदन चंदन रोली।

छाती कोन ठठाके ठाढ़े,काँपे देख फसादी----।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


अपन  देश मा भारत माता,होगे हवै अकेल्ला।

हे मतंग मनखे स्वारथ मा,घूमत हावय छेल्ला।

मुड़ी हिमालय के नवगेहे,सागर हा मइलागे।

हवा  बिदेसी महुरा घोरे, दया मया अइलागे।

देश प्रेम ले दुरिहावत हे,भारत के आबादी----।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


सोन चिरइयाँ अउ बेंड़ी मा,जकड़त जावत हावै।

अपने  मन  सब  बैरी  होगे,कोन  भला  छोड़ावै।

हाँस हाँस के करत हवै सब,ये भुँइया के चारी।

देख  हाल  बलिदानी  मनके,बरसे  नैना धारी।

पर के बुध मा काम करे के,होगे हें सब आदी--।

भुलागेन  बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


बार बार बम बारुद बरसे,दहले दाई कोरा।

लड़त  भिड़त हे भाई भाई,बैरी डारे डोरा।

डाह  द्वेष  के  आगी  भभके ,माते  मारा   मारी।

अपन पूत ला घलो बरज नइ,पावत हे महतारी।

बाहिर बाबू भाई रोवै,घर मा दाई दादी--------।

भुलागेन बलिदानी मन ला,बनके अवसरवादी।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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5, हमर तिरंगा(दोहा गीत)


लहर लहर लहरात हे,हमर तिरंगा आज।

इही हमर बर जान ए,इही  हमर ए लाज।

हाँसत  हे  मुस्कात  हे,जंगल  झाड़ी देख।

नँदिया झरना गात हे,बदलत हावय लेख।

जब्बर  छाती  तान  के, हवे  वीर  तैनात।

सुबे  कहाँ  संसो  हवे, नइहे  संसो   रात।

महतारी के लाल सब,मगन करे मिल काज।

इही--------------------------------- लाज।


उत्तर  दक्षिण देख ले,पूरब पश्चिम झाँक।

भारत भुँइया ए हरे,कम झन तैंहर आँक।

गावय गाथा ला पवन,सूरज सँग मा चाँद।

उगे सुमत  के  हे फसल,नइहे बइरी काँद।

का का मैं बतियाँव गा, गजब भरे हे राज।

लहर------------------------------लाज।


तीन रंग के हे ध्वजा, हरा गाजरी स्वेत।

जय हो भारत भारती,नाम सबो हे लेत।

कोटि कोटि परनाम हे,सरग बरोबर देस।

रहिथे सब मनखे इँहा, भेदभाव ला लेस।

जनम  धरे  हौं मैं इहाँ,हावय मोला नाज।

लहर-----------------------------लाज।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)


स्वतंत्रता दिवस अउ आठे तिहार के गाड़ा गाड़ा बधाई

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