सार छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
खुशी छाय हे सबो मुड़ा मा,बढ़े मया बरपेली।
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, हबरे हवै हरेली।
रिचरिच रिचरिच बाजे गेंड़ी,फुगड़ी खो खो माते।
खुडुवा खेले फेंके नरियर,होय मया के बाते।
भिरभिर भिरभिर भागत हावय,बैंहा जोर सहेली।
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के,हबरे हवै हरेली----।
सावन मास अमावस के दिन,बइगा मंतर मारे।
नीम डार मुँहटा मा खोंचे,दया मया मिल गारे।
घंटी बाजै शंख सुनावय,कुटिया लगे हवेली।
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के,हबरे हवै हरेली-।
चन्दन बन्दन पान सुपारी,धरके माई पीला।
रापा गैंती नाँगर पूजय,भोग लगाके चीला।
हवै थाल मा खीर कलेवा,दूध म भरे कसेली।
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के,हबरे हवै हरेली-।
गहूँ पिसान ल सान मिलाये,नून अरंडी पाना।
लोंदी खाये बइला बछरू,राउत पाये दाना।
लाल चिरैंया सेत मोंगरा,महकै फूल चमेली।
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के, हबरे हवै हरेली।
बेर बियासी के फदके हे,रँग मा हवै किसानी।
भोले बाबा आस पुरावय,बरसै बढ़िया पानी।
धान पान सब नाँचे मनभर,पवन करे अटखेली।
हरियर लुगरा पहिर ओढ़ के,हबरे हवै हरेली---।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
9981441795
हरेली तिहार के आप सबला सादर बधाई
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