सावन महीना के स्वागत करत
###$सावन महीना(गीत)###
सावन आथे त मन मा,उमंग भर जाथे।
हरियर हरियर सबो तीर,रंग भर जाथे।
बादर ले झरथे,रिमझिम पानी।
जिया जुड़ाथे,खिलथे जिनगानी।
मेंवा मिठाई,अंगाकर अउ चीला।
करथे झड़ी त,खाथे माई पिला।
खुलकूद लइका मन,मतंग घर जाथे।
सावन आथे त मन मा-------------।
भर जाथे तरिया,नँदिया डबरा डोली।
मन ला लुभाथे,झिंगरा मेचका बोली।
खेती किसानी,अड़बड़ माते रहिथे।
पुरवाही घलो ,मतंग होके बहिथे।
हँसी खुसी के जिया मा,तरंग भर जाथे।
सावन आथे त मन मा,---------------।
होथे जी हरेली ले,मुहतुर तिहार।
सावन पुन्नी आथे,राखी धर प्यार।
आजादी के दिन, तिरंगा लहरथे।
भोले बाबा सबके,पीरा ल हरथे।
भक्ति म भोला के सरी,अंग भर जाथे।
सावन आथे त मन मा--------------।
चिरई चिरगुन चरथे,भींग भींग चारा।
चलथे पुरवाही, हलथे पाना डारा।
छत्ता खुमरी मोरा,माड़े रइथे दुवारी।
सावन महीना के हे,महिमा बड़ भारी।
बस छाथे मया हर,हर जंग हर जाथे।
सावन आथे त मन मा--------------।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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