छत्तीसगढ़ के भाजी-खैरझिटिया
हमर राज के साग मा,भाजी पावय मान।
आगर दू कोरी हवै,सुनव लगाके कान।।
चना चनौरी चौलई,चेंच चरोटा लाल।
चुनचुनिया बर्रे कुसुम,खाव उँचाके भाल।
मुसकेनी मेथी गुमी,मुरई मास्टर प्याज।
तिनपनिया अउ लहसुवा,करे हाट मा राज।
खाव खोटनी खेड़हा, खरतरिहा बन जाव।
पटवा पालक ला झड़क,तन के रोग भगाव।
कुल्थी कांदा करमता,कजरा गोल उरीद।
कुरमा कुसमी कोचई,के हे कई मुरीद।।
झुरगा गोभी लाखड़ी,भथवा गुड़डू टोर।
राँधव भूँज बखार के,महकै घर अउ खोर।
पोई अउ सरसो मिले,मिले अमारी साग।
मछेरिया बोहार के,बने बनाये भाग।।।
करू करेला के घलो,भाजी होथे खास।
रोपा पहुना बरबटी,आथे सबला रास।।
मखना मुनगा मा मिले,विटामीन भरपूर।
कोइलार लुनिया करे,कमजोरी ला दूर।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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