आज के रावण
बिन डर के मनमर्जी करत हे,आज के रावण।
सीता संग लक्ष्मी सरसती हरत हे,आज के रावण।
अधमी ,स्वार्थी ,लालची अउ बहरूपिया हे,
राम लखन के रूप घलो धरत हे,,आज के रावण।
बहिनी के दुख दरद नइ जाने,आज के रावण।
मंदोदरी हे तभो मेनका लाने,आज के रावण।
न संगी न साथी न लंका न डंका,
तभो तलवार ताने,आज के रावण।
भला बनके भाई के भाग हरे,आज के रावण।
आगी बूगी म घलो नइ जरे,आज के रावण।
ज्ञान गुण के नामोनिशान नही जिनगी म,
घूमय हजारों बुराई धरे ,आज के रावण।
जाने नही एको जप तप ,आज के रावण।
दारू पीये शप शप, आज के रावण।
मुर्गी मटन मछरी ल, पेट म पचावव,
सबे चीज झड़के गप गप,आज के रावण।
हे गली गली घर घर भरे,आज के रावण।
तीर तलवार म नइ मरे,आज के रावण।
बनाये खुद बर झूठ के कायदा कानून,
दिनोदिन तरक्की करे,आज के रावण।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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