Friday 7 October 2022

एसो के रावण

 एसो के रावण


एसो के रावण, घुर घुर के मरही।

बरसा बड़ बरसत हे,बुड़ के मरही।


कुँवार महीना घलो,पानीच पानी।

छत्ता ओढ़े बइठे हवै,माता रानी।

जम्मो कोती माते,हावै गैरी।

कोन हितवा हे,कोन हे बैरी।

बन के का,रक्सा अन्तःपुर के मरही।

एसो के रावण, घुर घुर के मरही----।


एसो जादा सजे कहाँ हे।

बाजा गाजा बजे कहाँ हे।

आँखी कान पेट धँस गेहे,

मेंछा घलो मँजे कहाँ हे।

पहली ले एसो,खड़े नइहे।

तलवार धरके,अँड़े नइहे।

कोरबा रायगढ़ अउ रायपुर के मरही।

एसो के रावण,घुर घुर के मरही------।


नइ बाजे डंका।

नइ बाँचे लंका।

लगन तिथि बार,

सब मा हे शंका।

हाल बेहाल हे,गरजे कइसे।

सब तो रावण हे,बरजे कइसे।

पानी अउ अभिमानी देख,चुर चुर के मरही।

एसो के रावण, घुर घुर के मरही-----------।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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