Tuesday 14 February 2023

बसंत

 बसंत

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चल बइठबों बसंत म,पीपर तरी।

पूर्वा   गाये   गाना ,घरी  -  घरी।


मोहे   मन   मोर   मउरे,मउर आमा के।

मधूबन कस लागे,मोला ठउर आमा के।

कोयली   कुहके  ,कूह - कूह   डार  म।

रंग-रंग के फूले हे,परसा-मउहा खार म।

बोइर-बर-बंम्भरी बर,बरदान बने बसंत।

सबो   रितुवन  म , महान  बने   बसंत।

मुड़ नवाये डोले पाना,तरी-तरी।

पूर्वा   गाये   गाना ,घरी  - घरी।


डोलत हे  जिवरा देख,सरसो  फूल  पिंवरा।

फूल - फर  धरे नाचे ,  राहेर, मसूर, तिवरा।

घमघम  ले   फूले  हे,  अरसी       मसरंगी।

हंरियर गंहूँ-चना बीच,बजाय धनिया सरँगी।

सुहाये  खेत -खार , तरिया - नंदिया कछार।

नाचे  सइगोन-सरई  डार, तेंदु-चिरौंजी-चार।

सुघरई बरनत पिरागे,नरी-नरी।

पूर्वा   गाये   गाना , घरी -घरी।


गोभी-सेमी-बंगाला,निकलत हे बारी म।

रोजेच साग चूरत हे, सबो  के हाँड़ी म।

छेंके  रद्दा रेंगइया ल, हवा अउ बंरोड़ा।

धरे नंगाडा पारा म , फगुवा डारे डोरा।

गाँव लहुटे सहर,अब दुरिहात हे बसंत।

जुन्ना पाना-पतउवा ल,झर्रात हे बसंत।

नवा - नवा  प्रकृति  ल,बनात हे बसंत।

खुदे  रोके;मनखे   बर, गात  हे बसंत।

कर्मा-ददरिया-सुवा,तरी-हरी।

पूर्वा   गाये   गाना ,घरी-घरी।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बालको(कोरबा)

9981441795

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