हाय--गाय-- कुंडलियाँ छंद
काखर का गत हो जही, कोई पाय न जान।
गोधन के गत देख के, मुँद झन आँखी कान।।
मुँद झन आँखी कान, आज तैं चिंतन कर ले।
दूध दही घीं देय, तउन बहिरागे घर ले।।
माता घलो कहाय, नवावैं सब झन नित सर।
मरे कटे वो आज, काल का होही काखर।।
खैरझिटिया
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छेल्ला गरु गाय होगे।
जतके गोबर गौठान होइस, ततके बाय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
भाई बटवारा मा, ब्यारा नइ बाँचिस।
हार्वेस्टर के लुवई मा, चारा नइ बाँचिस।
गौठान कब्जागे, चरागन रुँधागे।
चरवाहा बपुरा, बिन बूता ऊँघागे।
कुकुर पलई फेसन होगे, गोधन हर्राय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
कूकर मा भात चूरे, नइ निकले पसिया।
ता भला काला पीही, गाय पँड़डू बछिया।
दूध दही घींव लेवना, दुकान मा बेंचात हे।
राउत भाई बहिनी मन,फोकटे हो जात हे।
ना दुहना ना मथनी, गजब दिन करोनी खाय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
गोबर कचरा काँदी पैरा, सबला फटफट लागे।
कोठा उप्पर बिल्ड़िंग बनगे, सुखयारिन बहू आगे।
यूरिया डीपी कस अउ बनगे, रंग रंग के खातू।
घुरवा गरुवा छोड़ छाड़ के, खुश हे आज बरातू।
गाय गरु के सड़क सहारा,बिन गोसँइयाँ हाय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
खेत मा नइहे, बइला बछवा के काम।
ता कोन करे ओखर, सेवा सुबे शाम।
ना लीपे बर गोबर चाही, ना बारे बर छेना।
ता गाय बइला बछवा ले, कोनो ला का लेना।
गौ सेवा गोविंद सेवा, पोथी मा लिखाय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
ना गाड़ा ना खाँसर, ना बेलन ना दँउरी।
अमेजन मा छेना,अमेजन मा गौरा गउरी।
केमिकल के स्वाद, जीभ ला भावत हे।
अमूल देवभोग साँची, घरों घर आवत हे।
स्वारथ सधत सेवा रिहिस, अब काय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
पहिली गौ महिमा संग,सेवा अउ गोदान चले।
पढ़े लिखे तक मन, सवारथ ले अंजान चले।।
विज्ञान के युग, गाय गरुवा ला गरू करदिस।
सुर-सुनता के संसार ला, करू कर दिस।।
चुपचाप सब चलत रिहिस,हल्ला हर्राय होगे।
गांव गांव मा छेल्ला, आज गरु गाय होगे।।
जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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