Saturday 9 September 2023

कलंक मनखे -सरसी छन्द

 कलंक मनखे -सरसी छन्द


गलत करे के पहली सोंचैं, लाख घांव इंसान।

अइसन सबक सिखादे उन ला, विनती हे भगवान।।


अत्याचार करत हें भारी, सुनँय गुनँय नइ बात।

मानव होके मानवता ला, मारत फिरथें लात।।

डर हे ना पछतावा चिटको, गरजे बन शैतान।

गलत करे के पहली सोंचैं, लाख घांव इंसान।।


अस्मत लूटे अत्याचारी, मद मउहा में चूर।

बेटी माई बेबस मनखे, दुख पाये भरपूर।।

नेता गुंडा साब सिपैहा, पाय हवै वरदान।

गलत करे के पहली सोंचैं, लाख घांव इंसान।।


करनी के फल भुगते तुरते, तुरते होय नियाँव।

बजे काल के डंका अइसे, होय झने चिंव चाँव।।

मारे काटे लूटे पाटे, तेखर मरे बिहान।

गलत करे के पहली सोंचैं, लाख घांव इंसान।।


न्याय तंत्र हा ये कलजुग के, बनके रहिगे खेल।

कैदी मन के कदर बढ़े हे, घर जइसे हे जेल।।

चोर सिपैहा भाई भाई, बिगड़े हवै विधान।

गलत करे के पहली सोंचैं, लाख घांव इंसान।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)



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