हरहा बने फिरे
खाये पिये हे तौन हा मरहा बने फिरे।
टन्नक घलो तो आज अजरहा बने फिरे।1
जानत हवे कहानी तभो मनखे मन इहाँ।
कछवा के चाल देख के खरहा बने फिरे।2
तंखा मिले के बाद भी कतको सफेदपोश।
दू पइसा अउ मिले कही लरहा बने फिरे।3
चिक्कन चरत हे चारा बचे आन बर कहाँ।
गोल्लर असन दिखे उही हरहा बने फिरे।4
उल्टा जमाना आय हे का मैं कहँव भला।
जौने फले फुले न ते थरहा बने फिरे।5
साहेब बाबू नेता गियानी गुनी धनी।
इँखरो तो लोग लइका लफरहा बने फिरे।6
काखर ठिकाना हे कहाँ कब कोन बदल जही।
फुलवा घलो तो आज के धरहा बने फिरे।7
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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