Saturday 7 October 2023

कलमकार न बने

 कलमकार न बने


जो चाटुकार है वो कलमकार न बने।

बस प्रेमपत्र बन रहें, अखबार न बने।।1


जिनको नही है कद्र, अपने आन बान की।

वो देश राज गाँव के, रखवार न बने।।2


चुपचाप खीर खाने की,आदत हैं जिनकी,

वो बंद रहें बस्ते में, बाजार न बने।।3


धन हराम का हो, किसी के तिजोरी में।

तो फाँस गले का बने, उपहार न बने।।4


स्वार्थ में सने हुये जो, रहते हैं सदा।

औरो का मैल धोने, गंगा धार न बने।।5


झूठ का पुलिंदा, बाँधने वाले सावधान।

सच होश उड़ा देगा, होशियार न बने।।6


वीर शिवा जी नही, न क्षत्रसाल है।

भूषण समझ के खुद को, खुद्दार न बने।।7


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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