Saturday 22 July 2017

हरेली तिहार

हरेली हरियर हरियर दिखे खेत-खार हरियर। डोंगरी पहाड़ हरियर । मन   होगे   बरपेली, हरियर -हरियर। आय हे हरेली, हरियर-हरियर।। खोंच लेना डारा , निमवा के डेरउठी म। चढ़ के देख एक घांव, गेड़ी के पंऊठी  म। बड़ मजा आही, मन ह हरसाही। नहा-खोर हुम दे दे, पानी फरिहर-फरिहर।।।। आय हे हरेला...........। हे थारी म चीला, जुरे हवय माई-पिला। धोके नांगर-जुड़ा। गेड़ी मचे टुरा। माड़े टँगिया-बसला आरी। चढ़े पान फूल-सुपारी। चढ़ा बंदन-चन्दन, फोड़ ठक-ठक नरियर।।।। आय हे हरेला...........। हे महुतुर तिहार के, संसो-फिकर ल टार के। मानव धरती दाई ल, डारा-पाना रुख-राई ल। थेभा मा किसानी के सरी चीज हर।। आय हे...........।        जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"           बाल्को(कोरबा) आप सबोझन ल हरेली तिहार के बधाई🌺🌺🌺🌺

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