Monday 1 July 2019

हाकली छंद(बरसात)

हाकली छंद(बरसात)

रिमझिम रिमझिम जल बरसे,ताल तलैया बड़ हरसे।
गड़गड़ गड़गड़ नभ गरजे,लइका मन ला माँ बरजे।1

रहि रहि झड़ी म भींगत हे, घर भीतर नइ नींगत हे।
पथरा  ढेला  फेकत हे,माड़ी के  बल  टेकत हे।2।

हाँसत हे अउ गावत हे, अबड़ मजा सब पावत हे।
कुरता  पेंट सनाय  हवै,गढ्ढा  कोड़  बनाय  हवै।3।

खाये बिन एको कँवरा,ए चँवरा ले वो चँवरा।
घानी मूंदी घूमत हे,सब लइका बीच सुमत हे।4।

संगी साथी जुरमिल के,नाचत हे डोंगा ढिलके।
गिर गिर घेरी घाँव उठै,मीत मितानी मया गुथै।5

पाँख हलावत हे मयना,कँउवा के छिनगे चयना।
ठिहा उजरगे हे कतको,नइ सूखत हावय पटको।6

काँदी काँदा कुसा जगै,हरियर हरियर धरा लगै।
बूता  बाढ़े  हे अबड़े,बेर  किसानी  के  हबरे।7।

छानी परवा टपकत हे,गोड़ म लेटा चपकत हे।
फुरफूँदी बड़ उड़त हवै,फरा अँगांकर चुरत हवै।8

कतको धर बइठे तरवा, चूँहत हे छानी परवा।
मछरी पार म चढ़त हवै,बगुला मंतर पढ़त हवै।9

फाँदे हावय बबा गरी,नइ खावँव कहि जरी बरी।
चूल्हा बड़ गुँगवावत हे,झड़ी म घर मे दावत हे।10

सइमो सइमो खेत करे,बइला हरियर काँद करे।
घण्टी गर के बाजत हे,काम बुता मा सब रत हे।11

निकले बरसाती खुमरी,भाय ददरिया अउ ठुमरी।
बाढ़त हे दनदन थरहा,मजा करे बइला हरहा।12

टरटर मेंढक गावत हे,झींगुर राग लमावत हे।
बत्तर फाँफा मच्छर हे,बगरे बीमारी जर हे।13

किरा मकोड़ा के डर हे,करिया नागिन बिखहर हे।
बिच्छल सब्बो तीर हवै,धीर म भइया खीर हवै।14

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)


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