आजा बादर(गीत)
तैं बरसबे के नही बता बादर।
लगथे घुरघुरासी,
आथे बड़ रोवसी,
अब जादा झन तैं,सता बादर-----।
दर्रा हनत डोली हे,धान मरत हावे।
आके तैं जियादे,मोर आस जरत हावे।
कोठी काठा उन्ना हे,उन्ना हे बोरा बोरी।
घाम बड़ टँड़ेरत हे,धान बरय होरी।
उमड़ घुमड़ आएस,
तँय धान बोआएस,
अब नइ हे तोर पता बादर--------।
रहिरहि तोर नाँव,माई पिला रटत रहिथन।
आस धर तोरे ,खेत म खटत रहिथन।
तोला गिरही कहिके,जिनगी के जुआ खेले हौं।
भर जा भले घर मा,देख खपरा ल उसेले हौं।
तोर मान गौन करथों,
तोर पँवरी रोज परथों,
का होगे मोर ले खता बादर--------।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
तैं बरसबे के नही बता बादर।
लगथे घुरघुरासी,
आथे बड़ रोवसी,
अब जादा झन तैं,सता बादर-----।
दर्रा हनत डोली हे,धान मरत हावे।
आके तैं जियादे,मोर आस जरत हावे।
कोठी काठा उन्ना हे,उन्ना हे बोरा बोरी।
घाम बड़ टँड़ेरत हे,धान बरय होरी।
उमड़ घुमड़ आएस,
तँय धान बोआएस,
अब नइ हे तोर पता बादर--------।
रहिरहि तोर नाँव,माई पिला रटत रहिथन।
आस धर तोरे ,खेत म खटत रहिथन।
तोला गिरही कहिके,जिनगी के जुआ खेले हौं।
भर जा भले घर मा,देख खपरा ल उसेले हौं।
तोर मान गौन करथों,
तोर पँवरी रोज परथों,
का होगे मोर ले खता बादर--------।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
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