Friday 5 July 2019

गजल (मन)

छत्तीसगढ़ी गजल

बहर-(2122 2122 212)

कोन फुलवा रास आही का पता।
कोन हा मन ला लुभाही का पता।1।

काम मनके नित करे जिद मा अड़े।
कब ठिहा काखर जलाही का पता।2।

अरदली  मन के सुवा माने नही।
कब कते कोती उड़ाही का पता।3।

तान  डेना  लाँघथे  आगास  ला।
पिंजरा मा कब धँधाही का पता।4।

नित उठे मन मा लहर सागर  सहीं।
कब किनारा पार पाही का पता।5।

साज  पर  के देख लिगरी मा जरे।
आग कब कइसे बुझाही का पता।6।

पेट भर दाना चरे तभ्भो मरे।
खैरझिटिया काय खाही का पता।7।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)

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