Saturday 25 July 2020

लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

तीजा पोरा

मुचुर मुचुर मन मुसकावत हे, देख करत तोला जोरा।
महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।

कभू अकेल्ला कहाँ रहे हँव, तोर बिना मैं महतारी।
जावन नइ दँव मैंहर तोला, देवत रह कतको गारी।
बेटी बर हे सरग बरोबर, दाई के पावन कोरा।
महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।

अपन पीठ मा ममा चघाके, मोला ननिहाल घुमाही।
भाई बहिनी संग खेलहूँ, मोसी मन सब झन आही।
मया ममादाऊ के पाहूँ, खाहूँ खाजी अउ होरा।
महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।

कइसे रथे उपास तीज के, नियम धियम होथे कइसन।
सीखे पढ़े महूँ ला लगही, नारी मैं तोरे जइसन।
गिनगिन सावन मास काटहूँ, भादो के करत अगोरा।
महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)

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