Thursday 30 December 2021

लावणी छंद- गीत (कइसन छत्तीसगढ़)

 लावणी छंद- गीत (कइसन छत्तीसगढ़)


पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया।

अंतर्मन ला पबरित रख अउ, चाल चलन ला कर बढ़िया।


धरम करम धर जिनगी जीथें, सत के नित थामें झंडा।

खेत खार परिवार पार के, सेवा करथें बन पंडा।

मनुष मनुष ला एक मानथें, बुनें नहीं ताना बाना।

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, नोहे ये कोनो हाना।

छत्तीगढ़िया के परिभाषा, दानी जइसे औघड़िया।

पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया----


माटी ला महतारी कइथें, गारी कइथें चारी ला।

हाड़ टोड़ के सरग बनाथें, घर दुवार बन बारी ला।

देखावा ले दुरिहा रइथें, नइ जोरो धन बन जादा।

सिधवा मनखे बनके सबदिन, जीथें बस जिनगी सादा।

मेल मया मन माटी सँग मा, ले सेल्फी बस झन मड़िया।

पाटी पागा बपारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया----


कतको दुःख समाये रइथे, लाली लुगा किनारी मा।

महुर मेंहदी टिकली फुँदरी, लाल रचे कट आरी मा।

सुवा ददरिया करमा साल्हो, दवा दुःख पीरा के ए।

महल अटारी सब माटी ए, काया बस हीरा के ए।

सबदिन चमकन दे बस चमचम, जान बूझके झन करिया।

पाटी पागा पारे मा नइ, बन जावस छत्तीसगढ़िया-----


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


*छत्तीसगढ़िया(414) ल मात्रा भार मिलाय के सेती छत्तिसगढ़िया(44) पढ़े के कृपा करहू*

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