Thursday 30 December 2021

कुम्हड़ा पाक/ कोम्हड़ा पाग

 कुम्हड़ा पाक/ कोम्हड़ा पाग


                    कुम्हड़ा/मखना/ कोम्हड़ा के नार पहली घरो घर छानी म चारो कोती लामे रहय, अउ कोनो घर दर्जन भर त, कोनो घर कोरी कोरी घलो फरे। जेला सब पारा परोसी अउ सगा सोदर मन संग बाँट बिराज के खायें।  घर के बारी, अउ ओरिछा के खाल्हे आसाढ़ के लगती बोवाय अउ कुँवार कातिक म तैयार हो जाय। कुम्हड़ा पाक नवा खाई, दशहरा, देवारी, झरती कोठार अउ मेला मंड़ई के प्रमुख व्यंजन आय। घी ल कड़काके ओमा करिया तिली झोंक, कुटी कुटी कटाय या फेर किसाय कुम्हड़ा संग गुड़/शक्कर डार बने चूरत ले भूँज दे, अउ सुवाद बढ़ाये बर लौंग, लायची छीत दे, बस बन गे कुम्हड़ा पाक।  कोनो भी घर के हाँड़ी म ये कलेवा बने त पारा परोसी मन महक पाके,सहज जान जाय, तेखरे सेती कटोरी भर भर परोसी मन ल बाँटे घलो जाय। बने के बाद पातर रोटी,फरा अउ चीला संग कटोरी कटोरी नपा नपा के खाय के अलगे मजा रहय, जउन खाय होही तेखर मुँह म, सुरता करत खच्चित पानी आ गे होही। 

                          मेवा मिठाई अउ किसिम किसिम के कलेवा पहली घलो रिहिस, फेर कुम्हड़ा पाक के अपन अलग दबदबा रिहिस,माँग रिहिस। बिना ये कलेवा के कुँवार, कातिक, अगहन अउ पूस के घलो कोनो तीज तिहार या फेर उपास धास नइ होवत रिहिस। नवा जमाना म ये कलेवा धीर लगाके सिरावत जावत हे, अइसे घलो नही कि आज बनबे नइ करे, बनथे फेर गिनती के घर म। कोनो भी घरेलू कलेवा/व्यंजन बर बनेच जोरा करेल लगथे, त वइसने जमकरहा गजब सुवाद घलो तो रथे। जइसे गाजर के हलवा रइथे, उसने कोम्हड़ा पाग घलो रथे, पर गाजर के हलवा के चलन सबे कोती हे,कोम्हड़ा पाक  नँदावत जावत हे। आज मनखें शहरी चकाचोंध अउ महिनत देख तुरते ताही मिलइया फास्ट फूड कोती झपावत जावत हे, ते चिंतनीय हे। कुम्हड़ा पाक कस हमर सबे पारम्परिक  कलेवा मुंह के स्वाद के संगे संग शरीर ल ताकत, विटामिन, खनिज अउ  रोग राई ले घलो बचाथे।  कुम्हड़ा कस लौकी, रखिया, तूमा ल घलो पाके या पागे जाथे। रखिया पाक तो पेड़ा के रूप म भारत भर म प्रसिद्ध हे, फेर कुम्हड़ा  पाक के दायरा सिमित होवत जावत हे।  

                            पागे के अलावा कुम्हड़ा के साग,कढ़ी, बड़ी के घलो जमकरहा माँग हे। कुम्हड़ा पाक आजो गाँव के पसंदीदा कलेवा म एक हे, जेला मनखें मन एक बेर जरूर पाकथे, अउ खाथें। शहर कोती या शहर लहुटत गाँव, केक पिज़्ज़ा, बर्गर, चांट समोसा के चक्कर म,धीर लगाके ये कलेवा ल छोड़त जावत हे। घर म बनइया कलेवा ल मन लगाके बनाये अउ मन भर खाय के अलगे आनन्द हे। आज मनखे मन ल मारत हे, अउ ऊपरी देख दिखावा कोती जादा भागत हे, इही कारण आय के परम्परागत चीज दुरिहा फेकात जावत हे, उही म एक हे कोम्हड़ा पाग।


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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