Monday 19 September 2022

सड़क- रोला छंद

 सड़क- रोला छंद


घाम घरी मा धूल, होय चिखला बरसा मा।

कहँव काय मैं हाल, काल रहिथे धरसा मा।

गाड़ी मोटर छोट, चले नित हाँफत हाँफत।

मजबूरी मा जायँ, सवारी काँपत काँपत।


नजर जिहाँ तक जाय, दिखै बस चिखला सरभर।

बन जाही कब काल, सड़क हा जाने काखर।

डंफर ट्रेलर कार, हाल ला देखत रोवय।

लागे रहिथे जाम, सुबे ले संझा होवय।


सड़क लगे पाताल, बने हे गड्ढा बड़का।

काटयँ पुलिस चलान, हाल ये सब ला टड़का।

धँस जावत हे गोड़, कहौं का गाड़ी घोड़ा।

आम आदमी रोय, सबे लँग बरसय कोड़ा।


सड़क तीर के गाँव, शहर मा मचै तबाही।

घर भीतर हे बंद, बंद हे आवा जाही।।

अनहोनी हो जाय, आय दिन गाँव शहर मा।

सड़क हवैं बदहाल, रहै कब तक जन घर मा।


नवा बने हे रोड, तभो ये हालत होगे।

नेता ठेकेदार, सबे झन खा पी सोगे।

हल्का छड़ सीमेंट, चले ना चार महीना।

देख सड़क के हाल,होत हे मुश्किल जीना।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

खैरझिटिया

No comments:

Post a Comment