देव उठनी तिहार के सादर बधाई
रूपमाला छन्द
देवउठनी आज हे छाये हवे उल्लास।
हूम के धुँगिया उड़े महकै धरा आगास।
चौंक चंदन मा फभे अँगना गली घर खोर।
शंख घन्टी मन्त्र सुन नाँचे जिया बन मोर।
घींव के दीया बरै कलसा म हरदी रंग।
ब्याह बंधन मा बँधे बृंदा बिधाता संग।
आम पाना हे सजे मंडप बने कुसियार।
आरती थारी म माड़े फूल गोंदा हार।
जागथे ये दिन देवता होय मंगल काज।
दान दक्षिणा करे ले पुण्य मिलथे आज।
लागथे मेला मड़ाई बाजथे ढम ढोल।
रीस रंजिस नइ रहै मनखे रहै दिल खोल।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को (कोरबा
हूम के धुँगिया उड़े महकै धरा आगास।
चौंक चंदन मा फभे अँगना गली घर खोर।
शंख घन्टी मन्त्र सुन नाँचे जिया बन मोर।
घींव के दीया बरै कलसा म हरदी रंग।
ब्याह बंधन मा बँधे बृंदा बिधाता संग।
आम पाना हे सजे मंडप बने कुसियार।
आरती थारी म माड़े फूल गोंदा हार।
जागथे ये दिन देवता होय मंगल काज।
दान दक्षिणा करे ले पुण्य मिलथे आज।
लागथे मेला मड़ाई बाजथे ढम ढोल।
रीस रंजिस नइ रहै मनखे रहै दिल खोल।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को (कोरबा
No comments:
Post a Comment