जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया" के सवैया छंद
1,मंदारमाला सवैया(वाह रे मनखे)
काया म माया चढ़ाये फिरे गा मया के ठिहा ठौर खाली करे।
टोरे भरोसा बने लालची आज के संत चोरी ग काली करे।
कैसे बढ़े बाग बारी के पौधा ग छेरी सहीं काम माली करे।
माने नहीं आदमी बात बानी ग खाये उही छेद थाली करे।
2,सर्वगामी सवैया(ताजा खाना पीना)
तातेच खाना मिठाये सुहाये बिमारी ल बासी ग खाना ह लाने।
ताजा रहे साग भाजी घलो हा पियौ तात पानी ग रोजेच छाने।
धोवौ बने हाथ खाये के बेरा म कौंरा कभू पेट जादा न ताने।
खाये ग कौंरा पँचाये बने तेन गा आदमी रोग राई न जाने।
3,आभार सवैया(मीठ बानी)
बोली बने बोल भाही सबे हा कहाँ रास आथे ग कोनों ल चारी ह।
चोरी चकारी म बाढ़े नही शान नत्ता मया ला मताये ग गारी ह।
ओखी ग मारे बुता ला बिगाड़े त कैसे भला तोर होही पुछारी ह।
बोली म घोरे मया मीत जौने पटे ओखरे गा सबे संग तारी ह।
1,मंदारमाला सवैया(वाह रे मनखे)
काया म माया चढ़ाये फिरे गा मया के ठिहा ठौर खाली करे।
टोरे भरोसा बने लालची आज के संत चोरी ग काली करे।
कैसे बढ़े बाग बारी के पौधा ग छेरी सहीं काम माली करे।
माने नहीं आदमी बात बानी ग खाये उही छेद थाली करे।
2,सर्वगामी सवैया(ताजा खाना पीना)
तातेच खाना मिठाये सुहाये बिमारी ल बासी ग खाना ह लाने।
ताजा रहे साग भाजी घलो हा पियौ तात पानी ग रोजेच छाने।
धोवौ बने हाथ खाये के बेरा म कौंरा कभू पेट जादा न ताने।
खाये ग कौंरा पँचाये बने तेन गा आदमी रोग राई न जाने।
3,आभार सवैया(मीठ बानी)
बोली बने बोल भाही सबे हा कहाँ रास आथे ग कोनों ल चारी ह।
चोरी चकारी म बाढ़े नही शान नत्ता मया ला मताये ग गारी ह।
ओखी ग मारे बुता ला बिगाड़े त कैसे भला तोर होही पुछारी ह।
बोली म घोरे मया मीत जौने पटे ओखरे गा सबे संग तारी ह।
मंदारमाला सवैया मा थोरिक सुधार के जरूरत हे सर जी।
ReplyDeleteउसी काम....
तुकांत घलाव