Tuesday 20 November 2018

बागीश्वरी सवैया

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"के सवैया छंद

1,सुखी सवैया(लइकापन)
बरदी नरवा तरिया परिया म सबो झन जा मिल कूदन खेलन।
कतको बड़का बिरवा ह रहे अमली अमुवा फर टोरन झेलन।
सब संग म अब्बड़ आय मजा दँउरी चढ़ जाँवन खाँसर बेलन।
फुतका कुधरा म सनाय रहे तन फेर जिया म मया बड़ मेलन।

2,महाभुजंग प्रयात छंद(आना के जमाना)
रहे हाथ मा चार आना ग भैया खुशी के रहे ना ठिकाना ग भैया।
जमाये रहे धाक आना सबो तीर का बैंक बाजार थाना ग भैया।
तिजोरी म बाजे बड़े छोट के गा चले देख आना जमाना ग भैया।
पुछारी कहाँ हे चँवन्नी अठन्नी आये नही एक दाना ग भैया।

बागीश्वरी सवैया(वीर जवान)
मले मूड़ मा धूल माटी धरा के सिवाना म ठाढ़े हवे वीर गा।
दिखे तोप गोला सहीं आग काया त आधे भला कोन हा तीर गा।
नँवाये मुड़ी जेन माँ भारती पाँव ओला खवाये बरा खीर गा।
गड़ाये कहूँ देश मा आँख बैरी त फेंके भँवाके जिया चीर गा।

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