Thursday 8 November 2018

मातर हे मोर गाँव म


मातर हे मोर गाँव म
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देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव  म।
नेवता   हे झारा-झारा,
घरो-घर उघरा राचर हे,
मोर  गाँव म---------।

गाँव-गुढ़ी   के  मान  म।
सकलाबोन गऊठान म।
राऊत भाई मन,मातर जागही।
सिंग - दमऊ - दफड़ा बाजही।
खीर-पुड़ी  बरा-सोंहारी,
संग     घरो  - घर    चूरे,
अंगाकर हे मोर गाँव म।
देवारी  के  बिहान दिन,
मातर हे  मोर  गाँव  म।
गाय-गरु संग,गाँव के गाँव नाचही।
अरे  ररे  हो कहिके,दोहा  बाँचही।
डाँड़   खेलाही , गाय - बछरू   ल,
खीर  -  पुड़ी  के ,परसाद  बाँटही।
अंगना - दुवारी  कस , सबके  मन,
चातर हे मोर गाँव म।
देवारी के बिहान दिन,
मातर हे मोर गाँव  म।
घरो-घर गोबरधन,
भगवान  देख ले।
मेमरी-सिलिहारि
संग खोंचाय हे,
धान  देख   ले।
डोली-डंगरी,गली-खोर संग,
नाचे लइका-सियान देख ले।
मया मोठ हे,
बैर पातर हे मोर गाँव म।
देवारी  के  बिहान  दिन,
मातर  हे  मोर  गाँव  म।
नेवता   हे    झारा-झारा,
घरो-घर   उघरा राचर हे,
मोर   गाँव   म---------।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बालको(कोरबा)
9981441795

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