गीत-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
का तोला परघाँव(सरसी छ्न्द)
का तोला परघाँव भवानी, का तोला परघाँव।
कोरोना हे काल बरोबर, घड़ी घड़ी घबराँव।।
चहल - पहल नइहे मंदिर मा, नइहे तोरन ताव।
डर हे बस अन्तस् के भीतर, भक्ति हवै ना भाव।
जिया बरत हे बम्बर मोरे, कइसे जोत जलाँव।
का तोला परघाँव भवानी, का तोला परघाँव।
मनखे मनखे ले दुरिहागे, खोगे सब सुख चैन।
लइका संग सियान सबे के, बरसत हावै नैन।
मातम पसरे हवै देख ले, शहर लगे ना गाँव।
का तोला परघाँव भवानी, का तोला परघाँव।
जियई मरई एक्के लागे, होवय हाँहाकार।
रक्तबीज कस बढ़े कोरोना, लेके आ अवतार।
आफत भारी हवै टार दे,परौं तोर मैं पाँव।
का तोला परघाँव भवानी, का तोला परघाँव।।
जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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