फेर एक अउ खूनी खेल,,, दुखद
काबर लालेच म खेलथस???
ंंंंंंंंंंंंंंंंंं
अऊ तो रंग बहुत हे.
काबर लालेच म खेलथस ?
हॉसत खेलत जिन्गी म,
काबर बारूद मेलथस. !!
पीके पानी फरी,
जुडा़ अपन नरी,
फेर काबर लहू पियत हस ?
मनखे अस मन म समा,
रक्सा कस का जियत हस !
हरिंयर रंग हरागे हे,
ललहूं होगे हे माटी !
थोरकन तो दया धरम देखा,
का पथरा के हे तोर छाती?
भरके बंदूक म गोली,
निरदई कस ठेलथस......
अऊ तो रंग ............
.............खेलथस ???
बंदूक गईंज चलायेस,
कभू राज चला के देख !
मारे हस जेखर गोंसईंया,बेटा ल,
ओखरो घर आके देख,!.
मनखे होके मनखे ल , खावत हस नोंच नोंच !
फिलगे हे अचरा आंसू म,
अब ताे दाई के आंसू पोंछ !
छेदा छेदा के बम बारूद म,
दाई के छाती चानी हाेगे हे !
तरिया ढोंड़गा नरवा के पानी,
ललहुं बानी होगे हे !
कोन देखाथे ऑखी तोला,
बता!! का बात ल पेलथस .?.......
अऊ तो रंग................
.....................खेलथस ??
जंगल के जीव जीवलेवा हे,
फेर तोर जइसे नही,!
कहां लुकाबे बनवासी बन,
जब राम आ जही!
छीत मया के रंग,
अऊ खेल रंग गुलाल ले,!
नाच पारा -पारा बाजे नंगाडा़!
निकल जंगल के जाल ले!
खेल खेल म का खेले तैं,
मनखे के जीव लेलेय तैं,
अति के अंत हब ले होही,
बात मोर मान ले!
लड़ना हे त देश बर लड़,
छाती फूलाके शान ले!
फूल-फूलवारी मितान बना,
आखिर काखर बात ल हेलथस??
अऊ तो रंग.....................
.............................खेलथस????
जीतेन्र्द वर्मा
खैरझिटी(राजनांदगांव)
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