Tuesday 13 April 2021

एक दिन के दिवस(सार छंद)

 एक दिन के दिवस(सार छंद)


का  का  दिवस  मनाथौ  भैया,सुनके  काँपे  पोटा।

नेत नियम कुछु आय समझ ना,धरा दुहू का लोटा।


चर दिनिया हे मानुष काया,हाँसी खुशी गुजारौ।

धरत हवै भुतवा पश्चिम के,दया मया ले झारौ।

संस्कृति अउ संस्कार बचावौ,आदत नियत सुधारौ।

सबके जिया मा बसव बने बन,कखरो घर झन बारौ।

सोज्झे मुरुख बनावत फिरथौ,अपन उठा के टोंटा।

का का दिवस मनाथौ भैया,सुनके काँपे पोटा-----।


दाई  बाबू  के  पूजा  तो,रोजे होना  चाही।

रोजे जागे देश प्रेम हा,तभे बात बन पाही।

पवन पेड़ पानी ला जतनौ,रोजे पुण्य कमावौ।

धरती  दाई  के  सुध  लेवव,पर्यावरण बचावौ।

गौरया के गीत सुनौ नित,मारव झन जी गोंटा।

का का दिवस मनाथौ भैया,सुनके काँपे पोटा।


हूम  देय  कस  काज करौ झन,करौ झने देखावा।

अइसन दिवस मनावौ झन जे,फूटय बनके लावा।

मीत  मितानी  रोजे  बढ़ही,रोजे  धन  दोगानी।

एक दिवस मा काम चले नइ,कहौ मीठ नित बानी।

थामव कर मा डोर मया के,झन धर घूमव सोंटा।

का का दिवस मनाथौ भैया,सुनके काँपे पोटा--।


दाई ददा गुरू ज्ञानी ला, दिन तिथि मा झन बाँधौ।

देखावा मा उधौ बनव ना, देखावा मा माँधौ।

छोट बड़े ला दया मया नित, हाँस हाँस के बाँटौ।

धरे एक दिन फूल गुलाब ल, कखरो सिर झन चाँटौ।

पश्चिम के परचम लहरावत, बनव न सिक्का खोटा।

का का दिवस मनाथौ भैया,सुनके काँपे पोटा--।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरखिटिया"

बाल्को(कोरबा)

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