Monday, 27 January 2025

कोठी मा धान रही

 कोठी मा धान रही


जब तक कोठी मा भरे धान रही।

तब तक ये जग मा ईमान रही।।


होही चारो कोती गोदाम के राज,

ता मया के बगिया वीरान रही।।


गोदाम सिर्फ दाम के बात करथे,

गिरे थके मन के अटके जान रही।।


कोठी बाँट बिराज के पालथे जग ला,

कोठी काठा वाले असल किसान रही।।


माटी के मनखें उड़ियाही माटी छोड़,

त स्वारथ मा सने सबके जुबान रही।


जब तक पसीना मा उगही धान पान,

तब तक मनुष माटी के गान रही।।


हथेली मा उगही फकत पइसा के पेड़।

ता सत मया ममता पड़े उतान रही।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

Thursday, 23 January 2025

जिंदगी

 [10/14/2023, 5:38 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: जीना हावय जिंदगी, मया मीत मन मेल।

दुनिया मा चलते रही, आय जाय के खेल।

[10/14/2023, 5:38 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: पिंजरा सुन्ना हो जथे,सुआ उड़ा जब जाय।

माटी के पुतला मनुष, माटी मा सकलाय।

[10/14/2023, 5:57 AM] jeetendra verma खैरझिटिया: दुख के दहरा ले उबर, जाये झट परिवार।

हाथ जोड़ सब झन विनय, करथन बारम्बार।।

नारा नहीं है स्वच्छता,

 गीत


नारा नहीं है स्वच्छता,

 है जीवन का अंग।

 जिसने भी अपनाया इसको,

 उसको मिली उमंग।।


 आसपास हो घर द्वार हो,

 या हो अपनी काया।

 साफ सफाई है जरूरी,

 सभी रतन धन माया।।

 स्वस्थ रहने का यह मंत्र है,

 भरे जीवन में रंग---

 नारा नहीं है स्वच्छता है,

 जीवन का अंग।।


 धारा स्वच्छ हो गगन स्वच्छ हो,

 स्वच्छ हो पानी पवन।

 चारों ओर रहे स्वछता,

 घर बन तन और मन।।

 स्वस्थ रहेंगे तभी जीतेंगे, 

जिंदगी का हर जंग---

 नारा नहीं है स्वच्छता,

 है जीवन का अंग।।

Wednesday, 22 January 2025

हमर भाँचा श्री राम-जय श्री राम

 हमर भाँचा श्री राम


अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।

देवौ बधाई मंगल गावौ, सुमर सुमर प्रभु नाम।। 


दुई हजार चार आगर कोरी।

पूस द्वादशी पाख अँजोरी।।

भव्य मंदिर मा बइठ प्रभु, दरस दिही सुबे शाम।

अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।।


सरयू जी के निर्मल पानी।

निसदिन कहिथे राम कहानी।।

ऊँच ऊँच मंदिर उँच देवाला, लगथे बैकुंठ धाम।

अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।।


चरण पड़े हे दंडक वन मा।

राम बसे हे हर कण कण मा।।

राम के नाम मा हे बड़ शक्ति, ले ते जाने दाम।

अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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मूरत राम नाम के--सार छंद


मन मन्दिर मा राम नाम के, मूरत तैं बइठाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।


राम नाम के माला जपके, शबरी दाई तरगे।

राम सिया के चरण पखारे, केंवट के दुख झरगे।

बन बजरंगबली कस सेवक, जघा चरण मा पाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।।


राम नाम के जाप करे ले, सुख समृद्धि सत आथे।

लोहा हा सोना हो जाथे, जहर अमृत बन जाथे।

जिहाँ राम हे तिहाँ कभू भी, दुख नइ डेरा डाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।


एती ओती चारो कोती, प्रभु श्री राम समाये।

सुर नर मुनि खग गुनी गियानी, जड़ चेतन गुण गाये।

ये मउका नइ मिले दुबारा, जीवन सफल बनाले।

भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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तुलसी तोर रमायण- सार छंद


जग बर अमरित पानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।


शब्द शब्द मा राम रमे हे, शब्द शब्द मा सीता।

गूढ़ ग्यान गुण गोठ गँजाये, चिटिको नइहे रीता।

सत सुख शांति कहानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।


सब दिन बरसे कृपा राम के, दरद दुःख डर भागे।

राम नाम के महिमा भारी, भाग भगत के जागे।।

धर्म ध्वजा धन धानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।


सहज तारथे भवसागर ले, ये डोंगा कलजुग के।

दूर भगाथे अँधियारी ला, सुरुज सहीं नित उगके।

बेघर के छत छानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।


प्रश्न घलो कमती पड़ जाही, उत्तर अतिक भरे हे।

अधम अनाड़ी गुणी गियानी, सबके दुःख हरे हे।

मीठ कलिंदर चानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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आ रहे हैं प्रभु राम(माहिया)


शबरी तुम्हें आना है।

आ रहे हैं प्रभु राम।

फिर बेर खिलाना है।


केवट तुम्हें आना है।

आ रहे हैं प्रभु राम।

फिर पार लगाना है।।


हनुमान लला आओ।

आ रहे हैं प्रभु राम।

भक्ति में रम जाओ।।


सुग्रीव सुमंत आओ।

आ रहे हैं प्रभु राम।

दर्शन पा हर्षाओ।।


नल नील अंगद आओ।

आ रहे हैं प्रभु राम।

सेवक बन रम जाओ।।


आओ हे जटायु जी।

आ रहे हैं प्रभु राम।

बढ़ा लो आयु जी।।


हे आदि कवि आओ।

आ रहे हैं प्रभु राम।

बधाई गीत गाओ।।


आओ हे गोसाँई जी।

आ रहे हैं प्रभु राम।

है शुभ घड़ी आई जी।।


श्री सीता राम लखन।

आ रहे हैं तीनों।

मंगल गायें जन जन।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


अयोध्या में


राम आ रहे हैं, अयोध्या में।

सब गा रहे हैं, अयोध्या में।।1


सब हाथों में धर्म ध्वजा।

लहरा रहे हैं, अयोध्या में।।2


लाखों दीपक जगमग जगमग।

जगमगा रहे हैं,अयोध्या।।3


बरसों बाद फिर एक बार।

खुशी छा रहें हैं, अयोध्या में।।4


जड़ चेतन सभी हर्षित हो।

मुस्का रहे हैं,अयोध्या में।।5


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

Wednesday, 8 January 2025

डिजिटल इंडिया

 कुंडलियाँ-डिजिटल इंडिया


कइसे डिजिटल इंडिया, बूता अपन सिधोय।

रेट नेट के बाढ़गे, टावर घलो पदोय।।

टावर घलो पदोय, फोर जी आगे तभ्भो।

डाटा डाउनलोड, होय टू जी कस अभ्भो।

चलय बैंक बाजार, नेट बिन जइसे तइसे।

अइसन मा अब होय, इंडिया डिजिटल कइसे।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा


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कुंडलियाँ छंद- विश्व गुरू भारत


पढ़ई लिखई के बिना, बीतत हे दिन रोज।

विश्व गुरू भारत हमर,कते मेर हे खोज।

कते मेर हे खोज, मयारू सोन चिरैया।

काम धाम हे बंद, मरत हे भूख कमैया।

ले कोरोना आड़, बढ़त हे डर दुख अढ़ई।

होगे हे दू साल, बंद हे लिखई पढ़ई।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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कुंडलियाँ-डिजिटल इंडिया


कइसे डिजिटल इंडिया, बूता अपन सिधोय।

रेट नेट के बाढ़गे, टावर घलो पदोय।।

टावर घलो पदोय, फोर जी आगे तभ्भो।

डाटा डाउनलोड, होय टू जी कस अभ्भो।

चलय बैंक बाजार, नेट बिन जइसे तइसे।

अइसन मा अब होय, इंडिया डिजिटल कइसे।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा


Saturday, 4 January 2025

नवा साल

 नवा साल


हमर बर नवा का,अउ का जुन्ना रे नवा साल।

सबर दिन रथे, काठा कोठी उन्ना रे नवा साल।1


कोंटा मा परे हे, काली के संसो मा बबा ददा। 

मंद पीके नाचत हें, मन्नू मुन्ना रे नवा साल।।2


सियान मन जिनगी बिताइन, मुठा बांध के,

आज चाबत हे मनखे ला, चुन्ना रे नवा साल।।3


नवा जमाना मा होवत हे, नवा नवा उदिम,

संस्कृति संस्कार मा लगगे, घुन्ना नवा साल।।4


होटल ढाबा मरत ले, भीड़ भाड़ दिखत हे,

ठिहा ठौर दिखत हे निचट, सुन्ना रे नवा साल।।5


आज के मनखें काली का करही, का पता?

देखावा मा झूलत हें सब, झुन्ना रे नवा साल।।6


ना नरियर अगरबत्ती, ना खीर ना पूड़ी भाये तोला,

बोकरा खाके नाचत हस, ताता तुन्ना रे नवा साल।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)