हमर भाँचा श्री राम
अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।
देवौ बधाई मंगल गावौ, सुमर सुमर प्रभु नाम।।
दुई हजार चार आगर कोरी।
पूस द्वादशी पाख अँजोरी।।
भव्य मंदिर मा बइठ प्रभु, दरस दिही सुबे शाम।
अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।।
सरयू जी के निर्मल पानी।
निसदिन कहिथे राम कहानी।।
ऊँच ऊँच मंदिर उँच देवाला, लगथे बैकुंठ धाम।
अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।।
चरण पड़े हे दंडक वन मा।
राम बसे हे हर कण कण मा।।
राम के नाम मा हे बड़ शक्ति, ले ते जाने दाम।
अवध मा बिराजत हे, हमर भाँचा श्री राम।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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मूरत राम नाम के--सार छंद
मन मन्दिर मा राम नाम के, मूरत तैं बइठाले।
भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।
राम नाम के माला जपके, शबरी दाई तरगे।
राम सिया के चरण पखारे, केंवट के दुख झरगे।
बन बजरंगबली कस सेवक, जघा चरण मा पाले।
भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।।
राम नाम के जाप करे ले, सुख समृद्धि सत आथे।
लोहा हा सोना हो जाथे, जहर अमृत बन जाथे।
जिहाँ राम हे तिहाँ कभू भी, दुख नइ डेरा डाले।
भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।
एती ओती चारो कोती, प्रभु श्री राम समाये।
सुर नर मुनि खग गुनी गियानी, जड़ चेतन गुण गाये।
ये मउका नइ मिले दुबारा, जीवन सफल बनाले।
भव सागर ले सहज तरे बर, राम नाम गुण गाले।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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तुलसी तोर रमायण- सार छंद
जग बर अमरित पानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।
कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।
शब्द शब्द मा राम रमे हे, शब्द शब्द मा सीता।
गूढ़ ग्यान गुण गोठ गँजाये, चिटिको नइहे रीता।
सत सुख शांति कहानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।
कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।
सब दिन बरसे कृपा राम के, दरद दुःख डर भागे।
राम नाम के महिमा भारी, भाग भगत के जागे।।
धर्म ध्वजा धन धानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।
कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।
सहज तारथे भवसागर ले, ये डोंगा कलजुग के।
दूर भगाथे अँधियारी ला, सुरुज सहीं नित उगके।
बेघर के छत छानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।।
कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।
प्रश्न घलो कमती पड़ जाही, उत्तर अतिक भरे हे।
अधम अनाड़ी गुणी गियानी, सबके दुःख हरे हे।
मीठ कलिंदर चानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।
कतको के जिनगानी बनगे, तुलसी तोर रमायण।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
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आ रहे हैं प्रभु राम(माहिया)
शबरी तुम्हें आना है।
आ रहे हैं प्रभु राम।
फिर बेर खिलाना है।
केवट तुम्हें आना है।
आ रहे हैं प्रभु राम।
फिर पार लगाना है।।
हनुमान लला आओ।
आ रहे हैं प्रभु राम।
भक्ति में रम जाओ।।
सुग्रीव सुमंत आओ।
आ रहे हैं प्रभु राम।
दर्शन पा हर्षाओ।।
नल नील अंगद आओ।
आ रहे हैं प्रभु राम।
सेवक बन रम जाओ।।
आओ हे जटायु जी।
आ रहे हैं प्रभु राम।
बढ़ा लो आयु जी।।
हे आदि कवि आओ।
आ रहे हैं प्रभु राम।
बधाई गीत गाओ।।
आओ हे गोसाँई जी।
आ रहे हैं प्रभु राम।
है शुभ घड़ी आई जी।।
श्री सीता राम लखन।
आ रहे हैं तीनों।
मंगल गायें जन जन।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छग)
अयोध्या में
राम आ रहे हैं, अयोध्या में।
सब गा रहे हैं, अयोध्या में।।1
सब हाथों में धर्म ध्वजा।
लहरा रहे हैं, अयोध्या में।।2
लाखों दीपक जगमग जगमग।
जगमगा रहे हैं,अयोध्या।।3
बरसों बाद फिर एक बार।
खुशी छा रहें हैं, अयोध्या में।।4
जड़ चेतन सभी हर्षित हो।
मुस्का रहे हैं,अयोध्या में।।5
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)